इस बार बजट में कुछ भी सस्ता या महंगा नहीं हुआ है। ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि 2017 में लागू किए गए GST के बाद से बजट में केवल कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाया या घटाया जाता है, जिसका असर गिनी-चुनी चीजों पर पड़ता है।
तो इस बार सरकार ने कस्टम ड्यूटी या एक्साइज ड्यूटी में कोई भी बदलाव नहीं किया है। ऐसे में यहां हम बीते एक साल में आम जरूरत की चीजों के दाम कितने बढ़े या घटे उसके बारे में बता रहे हैं।
तुअर दाल 110 रुपए से बढ़कर 154 रुपए किलो पर पहुंची
बीते एक साल में तुअर दाल 110 रुपए से बढ़कर 154 रुपए किलो पर पहुंच गई। वहीं इस साल चावल 37 रुपए से बढ़कर 43 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।
इसी तरह रोजाना उपयोग होने वाले सामान जैसे दूध, शक्कर, टमाटर और प्याज के दाम भी बढ़े हैं। हालांकि गैस सिलेंडर सहित कई अन्य चीजों के दाम में गिरावट भी देखने को मिली है।
इनडायरेक्ट टैक्स के बढ़ने-घटने से सस्ते-महंगे होते प्रोडक्ट
बजट में प्रोडक्ट के सस्ते और महंगे होने को समझने के लिए सबसे पहले टैक्सेशन सिस्टम को समझना होगा। टैक्सेशन को मोटे तौर पर डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में बांटा गया है:
- डायरेक्ट टैक्स: इसे लोगों की आय या मुनाफे पर लगाया जाता है। इनकम टैक्स, पर्सनल प्रॉपर्टी टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। डायरेक्ट टैक्स का बोझ वह व्यक्ति ही वहन करता है जिस पर टैक्स लगाया गया है और इसे किसी और को पास नहीं किया जा सकता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) इसे गवर्न करती है।
- इनडायरेक्ट टैक्स: इसे वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, GST, VAT, सर्विस टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। इनडायरेक्ट टैक्स को एक व्यक्ति से दूसरे को शिफ्ट किया जा सकता है।
जैसे होलसेलर इसे रिटेलर्स को पास करता है, जो इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, इसका असर अंत में ग्राहकों पर ही पड़ता है। इस टैक्स को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) गवर्न करती है।