Yog Department CCSU के छात्रों ने गहनतापूर्वक किया प्रतिभाग और मनन
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र त्यागी ने योग के छात्रों को बताए गूढ़ रहस्य
- त्रिनाथ मिश्र, मेरठ
Yog Department CCSU : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के योग एवं संस्कृत विभाग में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस दौरान गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र त्यागी ने अपने व्याख्यान में कहा कि, समाज को योग की नितांत आवश्यकता है और ऐसे समाज को हमें सिंचित करना चाहिए जो निरोगी रहे एवं अपने विचारों से दूसरों को सदैव सिंचित करता रहे।
इस दौरान डॉक्टर सुरेंद्र त्यागी ने मनुष्य के जीवनशैली का जिक्र करते हुए कहा कि हमें वही जीवनशैली अपनानी चाहिए जो हमारे लिए भी अच्छा हो और बच्चों के भविष्य के लिए फलदायी भी हो।
कार्यक्रम में उन्होंने योग के प्रभाव एवं उसकी उपयोगिता के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि, योग के कारण ही उनकी अस्थमा की बीमारी जड़ से समाप्त हो गई और दवाईंया बंद हो गईं। उन्होंने कहा कि, योग हमारे लिए ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है हमें इसको पूरी तरह से अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए ताकि यह मनुष्य के हर तबके तक पहुंच सके।
अपने खानपान पर दें ध्यान
डॉ. सुरेंद्र ने कहा कि हमें अपने खान–पान पर विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। जब हम अपनी गाड़ी में गलत पेट्रोल नहीं डाल सकते जबकि वह निर्जीव है तो हम अपने शरीर के साथ ज्यादती कैसे कर सकते हैं। शरीर परमात्मा की देन है इसका पूरा खयाल रखना चाहिए और यहीं से योग की मजबूत बुनियाद पड़ती है।
Yog Department CCSU में योग की व्याख्या नये अंदाज में-
Yog Department CCSU में डॉ. सुरेंद्र त्यागी अपने व्याख्यान के दौरान विभिन्न योगियों द्वारा प्रदत्त योग की परिभाषा से असंतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि इसकी व्याख्या असल में सरलतम शब्दों में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्वान अक्सर किसी भी बात को अधिक क्लिष्ट बना देते हैं जिससे जनमानस को समझाने में असुविधा होती है।
उन्होंने कहा कि योग का अर्थ है जोड़ना या दो वस्तुओं या तत्वों का मिलन। सबसे पहले हमें आत्मा-परमात्मा की बात करके यह बताने की आवश्यकता होती है कि आखिर योग में दो तत्व हैं क्या और उनसे कैसे व्यवहार किया जाए?
इन तत्वों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि, आत्मा को समझने का सरलतम माध्यम है अपनी सांसों पर ध्यान रखना। जिस प्रकार कोई ‘कामचोर मजदूर’ या किसी ‘बदमाश बच्चे’ को सिर्फ इतना बता दो कि तुम्हारी हरकतें अमुख व्यक्ति द्वारा “निगरानी” में हैं तो वह एकदम संभलकर काम करने लगता है उसी प्रकार यदि हमने अपनी सांसों पर निगरानी शुरू कर दी तो एकदिन हमारे भीतर चल रही उथल-पुथल एकदम शांत हो जाएगी।
इस प्रकार हम यह देख पाने में सक्षम हो जाएंगे कि हमारे भीतर विभिन्न मनोभावों से अलग भी एक तत्व ऐसा है जहां तक इससे पहले आप कभी नहीं पहुंचे थे और यहीं से शुरू होगा आपके आत्मा को पहचानने का सफर। परमात्मा तो इसकी अंतिम कड़ी है वहां तक जाने के लिए अपने उपर सतत ध्यान देना होगा।
जब आप ‘दूसरों के द्वारा खुद के उपर’ ध्यान देने से इतना संभल सकते हैं तो अपने उपर आपकी स्वयं की नजरें रहेंगी तो आप स्वत: संभलना शुरू हो जाओगे।
व्याख्यान के दौरान Yog Department CCSU के छात्र-छात्राओं ने गंभीरतापूर्वक विचारों को सुना। अंत में विभागाध्यक्ष डाॅ. वाचस्पति मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बच्चों को निर्देशित किया कि वो इस व्याख्यान को अपने शब्दों में लिखकर इसको और अधिक समझाते हुए टिप्पणी करें।
Yog Department CCSU के व्याख्यान में ये रहे मौजूद
व्याख्यान के दौरान विभाग के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र, डॉ. संतोष कुमारी, डॉ. नवजोत सिद्दू, अमरपाल, डॉ. राजवीर, डॉ. ओमपाल, सत्यम सिंह, कु. ईशा पटेल, विभाग अधीक्षक साहिल तरीका मौजूद रहे।
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