भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टालरेंस नीति’ के तहत स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग ने अपने तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की है। बिना अनुमति विदेशों की सैर करने पर डीआईजी स्टांप राम अकबाल सिंह को आगरा से हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया है। जांच लेकर बैठे और रिपोर्ट न देने पर अपर महानिरीक्षक को भी पद से हटा दिया गया है।
वहीं भ्रष्टाचार के आरोप में सहायक महानिरीक्षक सुनीता बाजपेयी के खिलाफ भी कार्यवाही की गई है। एक साथ तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन से विभाग में खलबली मची है। आगरा मंडल के उप महानिरीक्षक निबंधन और उपायुक्त स्टांप बिना विभागीय अवकाश के नेपाल चले गए थे।
इससे पहले विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना थाईलैंड जाने के भी आरोप थे। बिना अनुमति विदेश यात्रा को लेकर आगरा मंडल की कमिश्नर रितु महेश्वरी ने उनकी शिकायत की थी। हालांकि बताया जाता है कि बाद में थाईलैंड यात्रा की एनओसी मिल गई थी।
उनके खिलाफ अनियमितताओं के मामले की भी जांच चल रही थी। जांच प्रभावित करने की संभावना देखते हुए राम अकबाल सिंह को प्रयागराज मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया। राम अकबाल सिंह पर लगे आरोपों की जांच की जिम्मेदारी अपर महानिरीक्षक निबंधन (पश्चिमी क्षेत्र) मुनीन्द्र सक्सेना को सौंपी गई थी।
इसके अतिरिक्त अन्य कई मामलों की जांच भी वह कर रहे थे लेकिन जांच दबाए रहने के कारण कार्यवाही नहीं हो पा रही थी। साथ ही लोगों को होने वाली परेशानी से जुड़े तमाम मामले भी विभाग में आ रहे थे। इसे देखते हुए प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने उन्हें भी मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया।
श्रावस्ती की सहायक महानिरीक्षक निबंधन और सहायक आयुक्त स्टाम्प सुनीता बाजपेयी पर भाजपा विधायक राम फेरन पांडेय ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल से लिखित में शिकायत की थी।
शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए सुनीता बाजपेयी को भी प्रयागराज मुख्यालय से सम्बद्ध कर लखनऊ कैम्प कार्यालय स्थित उप महानिरीक्षक निबंधन को जांच के निर्देश दिए गए हैं। आईजी स्टांप डॉ. रूपेश कुमार ने जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है।