मलगांव की सुमित्रा ने बेसन, गुड़, गोबर से बनाया जैविक खाद, अब चार गांव की महिलाएं भी बनाने लगीं, पंचायत ने रखा खरीदने का प्रस्ताव

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धार .मलगांव की सुमित्रा पटेल जैविक खाद बनाकर अन्य महिलाओं को नई आजीविका से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। सुमित्रा से सीखकर मलगांव सहित अनारद, सवल्ली, सांभर की महिलाओं ने भी अब इसी पद्धति से जैविक खाद बनाना शुरू कर दिया है। खाद बनाने की तकनीक इतनी पसंद आई कि दोना निर्माण, सब्जी फेरी, सिलाई आदि कार्य से गुजारा करने वाली महिलाएं भी अब खाद तैयार कर रही हैं। फिलहाल महिलाओं ने प्रयोग के तौर पर खाद अपने ही खेत में डाला है। इसका परिणाम भी अच्छी फसल के रूप में नजर आने लगा है।

मलगांव की मंजू पांचाल ने 3 बीघा खेत में जैविक खाद बनाकर डाला। सांभर की फेमिदा खान ने दो ट्रॉली जैविक खाद तैयार किया। दो बीघा में जैविक खाद डाला। जरीना बी ने अनारद में 5 व सक्तली में दो बीघा में जैविक खाद डाला।
महिलाओं को 13 तरह की गतिविधियों से जोड़ा
मलगांव की आबादी 490 है। 235 महिलाएं हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 2012 से राष्ट्रीय आजीविका के माध्यम से यहां समूह का गठन किया गया। उन्हें 13 तरह की आजीविका गतिविधियों से जोड़ा गया। महिलाओं ने खुद को आर्थिक रूप से मजबूत किया। फिलहाल 80 से ज्यादा महिलाएं आजीविका से जुड़ी हैं। इस साल रबी सीजन में उत्पन्न हुई खाद की समस्या पर सुमित्रा ने जैविक खाद बनाने की सोची। उन्हांेने बेसन, गुड़ व गोबर से जैविक खाद तैयार कर 25 बीघा खेत में डाला। खाद देखने जपं की टीम 20 दिन पहले गांव पहुंची थी। पंचायत अधिकारियों ने खाद खरीदने का प्रस्ताव भी रखा था, मगर कम दाम मिलने से महिला ने खाद बेचने से इनकार कर दिया। सुमित्रा से सीखकर महिलाओं ने भी खाद बनाना शुरू किया।

ऐसे तैयार किया 50 थैली खाद
सुमित्रा ने बताया 50-50 किलो बेसन, गुड़, गोबर, 50 लीटर गोमूत्र, का मिश्रण किया। 8 से 10 दिन रखा। 50 थैली खाद तैयार हुआ। 10 मजदूर लगे।

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