ब्यूरो रिपोर्ट नई दिल्ली
दिल्ली की राऊ कोचिंग के बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में पानी भर जाने से हुई तीन छात्रों की मौत ने सारे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था। हादसे के बाद जागे अफसरों ने दिल्ली में चल रहे कोचिंग संस्थानों में कई अनियमितताएं पकड़ी। इससे पता चलता है कि आईएएस व अन्य उच्च सेवाओं की परीक्षा में सफल होने की हसरत लिए छात्र-छात्राएँ कितने जोखिमों के बीच इन संस्थानों में पढाई करते हैं। शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें ‘डेथ सेन्टर’ यानि मौत का घर का नाम दे दिया।
शीर्ष अदालत ने साफ कहा है कि ये कोचिंग संस्थान बच्चों की जिन्दगी के साथ खेल रहे हैं। कोर्ट का कहना है कि किसी भी कोचिंग संस्थान को तबतक संचालन की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए, जब तक कि वह सुरक्षा मानकों को पूरा न करता हो। यह तो सभी जानते हैं कोचिंग चलाना अब काफी मुनाफे का धंधा बन गया है। ये संस्थान बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की भर्ती तो कर लेते हैं, लेकिन उनकी आवश्यक सुरक्षा और सुविधाओं के मामले में पूरे आपराधिक ढंग से कतरब्योंत करते हैं। जिन अफसरों पर नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है, वे भी किसी खास वजह से महज कागजी खानापूर्ति की औपचारिकता बरतकर इन कोचिंग मालिकों की मदद करते हैं।
तीन बच्चों की असमय मौत के बाद ही सह, अब जबकि इन संस्थानों की मनमानी एक-एक करके सने आ रही है तो यह जरूरी है कि नियमों का पालन न करने वाले इन धंधेबाजों को सख्त सजा दिलाई जाए। यह व्यवस्थागत लापरवाही का ही नतीजा है कि कोचिंग संस्थानों के मालिक लगातार मनमानी करते जा रहे हैं। इसलिए इन कमियों को पहचान कर इनमें सुधार के लिए भी कंडे कदम उठाए जाने चाहिए।