विपक्ष की भूमिका संदिग्ध क्यों?

  • डॉ रामेश्वर मिश्र
dr rameshwar mishra writer
विपक्ष की भूमिका संदिग्ध क्यों?

भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे प्रतिष्ठित और बड़ा लोकतंत्र है, एक स्वस्थ लोकतंत्र स्वस्थ राष्ट्र की नीव होती है, एक मजबूत लोकतंत्र के लिए एक सशक्त सरकार की जितनी आवश्यकता होती है उतने ही सबल विपक्ष की, स्वस्थ विपक्ष किसी भी देश के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।

भारतीय राजनीति में विपक्ष का योगदान अहम है क्योंकि विपक्ष का कार्य सरकार को सरकार की नीति एवं विचारधारा के साथ-साथ जनमानस की संवेदनाओं एवं कष्टों से अवगत कराना है, लोकतंत्र में विपक्ष इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकतंत्र की जो आधारभूत मान्यताएं हैं वो विपक्ष के बिना सत्यापित नही हो सकती हैं जैसे सरकार की अनियंत्रित शक्ति के उपर अंकुश लगाना, जनता के अधिकारों एवं मांगों को पूरा करवाना, जनता से सम्बंधित विषयों को सरकार के समक्ष उठाना तथा सरकार की गलत नीतियों का जिसमे आम जनमानस के हितों की अनदेखी हो रही हो उसका डटकर विरोध करना लेकिन आज बदलते परिदृश्य में विपक्ष की भूमिका को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।

सरकार द्वारा हमेशा यह प्रयास किया जाता है कि सरकार की नीतियों का विपक्ष द्वारा केवल समर्थन किया जाय और विपक्ष द्वारा सरकार की नीतियों से जुड़े विषयों का समर्थन न करने पर शब्दों के वाह्य आडम्बर में लोकतंत्र की मर्यादाओं को जकड़ने का प्रयास किया जाता है। आज सत्ता पक्ष द्वारा विपक्ष द्वारा उठाये गए जनहित के मुद्दों पर उसे भ्रामक शब्दों के जाल में फसाया जाता है जैसे टुकड़े-टुकड़े गैंग, विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है, विपक्ष आन्दोलनजीवी है, विपक्ष चीन की भाषा बोल रहा है, विपक्ष हिन्दू विरोधी ताकतों साथ है, इन शब्दों के साथ ही अब राजनीति में नए शब्द टूलकिट का प्रयोग होने लगा है।

सत्ता पक्ष द्वारा यह आरोप लगाया जाता है कि विपक्ष टूलकिट के प्रयोग से राष्ट्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहा है, विपक्ष की भूमिका हमेशा संदेह के घेरे में आम जनमानस के बीच स्थापित करने का प्रयास सत्ता पक्ष द्वारा किया जाता है।   

आज के परिदृश्य में सत्ता पक्ष पर एक पुरानी लोकोक्ति सटीक बैठती है कि ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाटे’ इसी लोकोक्ति के अनुसार सत्ता पक्ष द्वारा अपनी कमियों का ठीकरा हमेशा भ्रामक शब्दों के सहयोग से विपक्ष पर फोड़ने का कार्य किया जा रहा है, सत्ता पक्ष द्वारा वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के उपर टूलकिट के द्वारा राष्ट्र की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया जा रहा है।  यहाँ सबसे पहले यह विषय महत्वपूर्ण हो जाता है कि टूलकिट क्या है ? 

तो साधारण शब्दों के कहा जा सकता है कि टूलकिट किसी महत्वपूर्ण घटना से सम्बन्धित तथ्यों का संकलन मात्र है कि अमुक घटना के लिए कौन-कौन से तथ्य उत्तरदायी थे। टूलकिट सत्ता पक्ष की कमियों को छुपाने का एक राजनैतिक प्रपोगेंडा (अधिप्रचार) मात्र है। सत्ता पक्ष द्वारा इसी टूलकिट के भ्रामक प्रयोग से विपक्ष की भूमिका को कलंकित करने तथा अपनी खोयी छवि को प्राप्त करने का प्रयास मात्र है।

विपक्ष के साथ-साथ आम जनमानस का भी उत्तरदायित्व है कि वह घटनाओं से जुड़े तथ्यों को समझे, वर्तमान में फैली वैश्विक महामारी से मिली त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन है? यदि विपक्ष इस विषय पर मौन रहे तो हमारे इन प्रश्नों का उत्तर कौन देगा? श्मशान घाटों में शवों की लम्बी कतारों के लिए जिम्मेदार कौन है ? गंगा में तैरते शव किस सुशासन का प्रतीक है ? 

अपने लोगों के वैक्सीन की खुराक क्षणिक यशोगान के लिए दूसरे राष्ट्रों को क्यों भेजी गयी?  देश से ऑक्सीजन की मात्रा प्रति वर्ष के मुकाबले दोगुना निर्यात क्यों की गयी? वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए विदेशी कम्पनियों को टेंडर क्यों नही दिया गया ? इन विपरीत परिस्थितियों के बीच देश के मुखिया द्वारा अपनी हवाई यात्रा के लिए 20 अक्टूबर 2020 को एयर फोर्स-1 नामक विमान जिसकी कीमत 8458 करोड़ थी को क्यों खरीदा गया ? 

कोरोना की दूसरी लहर से जूझते हुए संकटग्रस्त राष्ट्र में दिल्ली के सौंदर्यीकरण की योजना विस्टा प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रूपये क्यों खर्च किये जा रहे हैं? कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर साल 2019-20 के 540.16 करोड़ के मुकाबले साल 2020-21 में 592.55 करोड़ रुपये खर्च किये गए जो पिछले साल की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। ऐसे संकट के समय में 10 प्रतिशत अधिक धन सुरक्षा पर क्यों खर्च किये गए ? इस प्रकार ऐसे अनेकों प्रश्न हैं जो सरकार को कटघड़े में खड़े करने के लिए पर्याप्त हैं।

सरकार द्वारा इस संकट के समय में भी आम जनमानस के हितों और विपक्ष के प्रश्नों की अनदेखी स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में बाधक है। सत्ता पक्ष द्वारा हाल ही में कहा गया कि विपक्षी दलों की गिद्धों की राजनीति उजागर हुयी है, भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि “यह बेशर्म और चौकाने वाला है कि ऐसे समय में जब भारत कोरोना से लड़ रहा है तो कांग्रेस पार्टी केवल राजनैतिक स्कोर में लगी है, कुम्भ को कोरोना के एक सुपर स्प्रेडर के रूप में कलंकित करते है और ईद इनके लिए एक सुखद घटना के रूप में है।”

इससे एक कदम आगे निकलकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री सुनील देवधर ने कहा कि “क्या यह देशद्रोहियों का टूलकिट नही है” ? सत्ता पक्ष द्वारा आदि ऐसे अनेकों विवादित बयान और झूठे तथ्य जनता में भ्रम फैलाने के उद्देश्य से दिए जा रहे हैं।

सत्ता पक्ष को जब ऐसी वैश्विक महामारी से लड़ने का समय मिला था तब वे बंगाल में अपने राजनैतिक हितों को साधने के लिए हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति कर रहे थे और जब यह महामारी अपने बहुतायत लोगों को काल के आगोश में ले रही थी तो धर्म के ठेकेदार लापता थे, चित्कारों और असहनीय पीड़ा से भयक्रांत राष्ट्र में राष्ट्र सेवक का दम्भ भरने वाले लापता थे, सरकार द्वारा विपक्ष को संदेहास्पद बनाने की अपेक्षा अपनी कमियों को स्वीकारते हुए सत्ता पक्ष को एक राष्ट्रसेवक की भांति संवेदनाओं के साथ आने वाले दिनों के लिए तैयार होना चाहिए और इन प्रश्नों के जबाब खुद ढूढ़ना चाहिए कि हम इस भयावह स्थिति में कैसे पहुँचे?

जिन लोगों ने अपने परिजन खोये हैं उनके प्रति संवेदनशील जबाबदेही होनी चाहिए। सरकार द्वारा भ्रामक शब्दों के जाल फैलाने से लोगों की जान नही बचायी जा सकती है, टूलकिट एवं सरकार की कमियों को बताने से राष्ट्रीय छवि को आघात नही पहुँचता अपितु सरकार की अदूरदर्शी, अव्यवस्थित रणनीति से राष्ट्रीय छवि को आघात पहुँचता है।