ऑनलाइन नेशनल वर्कशॉप ऑन रियाज़ के पहले दिन ही विद्वानों ने सिखाये ‘बेस्ट रियाज’ के गुर

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वाराणसी। “पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’ समिति” द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय “ऑनलाइन नेशनल वर्कशॉप ऑन रियाज़” के प्रथम दिवस का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। सत्र का शुभारंभ कार्यशाला के संयोजक डॉ रामशंकर ने सभी का स्वागत किया एवम ‘रामरंग’ जी की वरिष्ठ शिष्या एवं प्रख्यात गायिका विदुषी शुभा मुद्गल ने अपनी शिक्षण स्मृतियों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ “पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’ समिति” पर प्रकाश डाला तथा समिति के सदस्यों डॉ०गीता बनर्जी, रामरंग के सुपुत्र राम झा जी तथा उनके प्रिय शिष्य एवं आयोजक डॉ० रामशंकर जी को आयोजन के लिए धन्यवाद एवं शुभकामनाएं दी।

प्रथम सत्र की गुरु प्रख्यात गायिका विदुषी अलका देव मारुलकर जो ग्वालियर, किराना एवं जयपुर तीनों घरानों की गायकी में पारंगत हैं साथ ही विभिन्न सम्मान जैसे संगीत कौमुदी, गान सरस्वती, डॉ प्रभा त्रे पुरस्कार, संगीत शिरोमणि, तथा जीवन गौरव जैसे विशेष सम्मान से सम्मानित है।

कार्यशाला के आरंभ में गुरु अल्का जी ने राग भैरव को रियाज़ के लिए सबसे अधिक उपयुक्त बताते हुए एक पारम्परिक बंदिश “मेहर की नज़र कीजै” से किया। इस राग में लगने वाले एक – एक स्वरों की महत्ता को बताते हुए स्वर- संगतियों का प्रयोग कैसे करना चाहिए, स्वरों के लगाव तथा आवाज़ की गोलाई को तैयार करने के लिए किस प्रकार रियाज़ करना चाहिए जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं से विद्यार्थियों को लाभान्वित किया, साथ ही राग भैरव के एक-एक स्वरों के लगाव, राग में थाट विचार, वादी- संवादी तथा विवादी के महत्व के साथ – साथ राग शास्त्र की महत्ता को अत्यंत ही सरलता तथा सुंदर ढंग से समझाया।

विद्यार्थियों के अनुरोध पर अल्का जी ने रियाज़ के लिए अपने अनुभव साझा करते हुए सुबह के लिए राग भैरव और तोड़ी तथा शाम के लिए यमन और भूपाली में अपने विशेष तालीम से सभी को अवगत कराया तथा रियाज़ के लिए विशेष राग परिचायक तानों की स्वर- संगतियाँ भी बताई। उस्ताद रज़्जा अली खां, राजा भैया पूछवाले तथा बी० आर० देवधर जी से तालीम की अपनी स्मृतियाँ साझा कर विद्यार्थियों को लाभान्वित किया, साथ ही विद्यार्थियों को एक गुरु, एक घराने को पूर्ण रूप से साधने के बाद ही दूसरे घराने या दूसरे गुरु को साधने का आग्रह भी किया। 

कार्यशाला के अंत में प्रश्नोत्तर की श्रृंखला में गले की रेंज कैसे बढ़ायें? सप्तक का चयन कैसे करें? मंद्र का रियाज़ कैसे करें? ॐ की साधना, षड्ज की साधना, खरज की साधना कैसे करें? आदि प्रश्नों के उत्तर भी बड़ी विद्वता से दिया।

अंत में कार्यशाला के आयोजक डॉ०रामशंकर जी ने अल्का जी का तथा अन्य सभी का आभार व्यक्त किया तथा विद्यार्थियों को अगले सत्र के लिये शुभकामनाएं दी। कार्यशाला में कुल लगभग 620 विद्यार्थी पंजीकृत तथा लाभान्वित हुए।

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