Webinar: Online Education couldn’t be option of perfect education in India

webinar

ऑनलाइन शि‍क्षा- चुनौति‍यां, भवि‍ष्‍य एवं संभावनाएं वि‍षय पर ई-वि‍मर्श का आयोजन

मेरठ। आज के इस कोरोना महामारी के दौर में पूरा वि‍श्‍व रूक गया है, हमारी सभी तरह की सेवाएं ठप हो चुकी है। पूरे वि‍श्‍व में कोरोना के बढ़ती संख्‍या को देखते हुए यह बताना संभव नहीं हो पा रहा है कि‍ देश फि‍र से कब पटरी पर आ पाएगा। यही हाल शि‍क्षा का भी है। सभी तरह के शि‍क्षण संस्‍थान बंद हो चुके है। अब से सभी संस्‍थाएं टेक्‍नॉलाजी पर पूरी तरह से निर्भर हो गई है। आज सभी शि‍क्षण संस्‍थाएं ऑनलाइन शि‍क्षा प्रदान कर रही हैं, परीक्षाएं आयोजि‍त करा रही है। इस दौरान बहुत सी तरह की समस्‍याओं का सामना भी करना पड़ रहा है जैसे- नेटवर्क की समस्‍या, इंटरनेट की समस्‍या, इंटरनेट प्रयोग नहीं करने वालों की समस्‍या के साथ ही हमारे स्‍वास्‍थ पर भी इसका नाकारात्‍क प्रभाव पड़ रहा है।
Punerutthan%2BNGO%2Bwith%2BForm
उपरोक्‍त सभी समस्‍याओं को देखते हुए पुनरुत्थान ट्रस्‍ट ने पुनरूत्थान विमर्श श्रृंखला-1 का आयोजन कि‍या, जि‍सका प्रमुख वि‍षय ऑनलाइन शि‍क्षा- चुनौति‍यां, भवि‍ष्‍य एवं संभावनाएं रहा। इस श्रृंखला के मुख्‍य अति‍थि‍ एवं अध्यक्षता, सेंटर फॉर मॉस कम्‍यूनि‍केशन, राजस्‍थान वि‍श्‍ववि‍द्यालय के पूर्व प्रमुख तथा कम्‍यूनि‍केशन टूडे के संपादक प्रो. डॉ. संजीव भानावत रहे, वि‍शि‍ष्‍ठ अति‍थि‍ प्रो. डॉ. दि‍लीप कुमार, वि‍भागाध्‍यक्ष, पत्रकारि‍ता एवं जनसंचार वि‍भाग, मेरी कॉलेज, नई दि‍ल्‍ली, मुख्‍य वक्‍ता डॉ. त्रि‍शु शर्मा, सह आचार्य, पत्रकारि‍ता एवं जनसंचार वि‍भाग, ऑरो वि‍श्‍ववि‍द्यालय, सूरत तथा डॉ. उषा साहनी, सहायक प्रध्‍यापक, अंग्रेजी वि‍भाग, मेरठ कॉलेज से ऑनलाइन तकनीक के माध्‍यम से मौजूद रहे। वेब संगोष्ठी के मॉडेरेटर पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय स्वामी विवेकानन्द सुभारती विवि के डीन डॉ. नीरज कर्ण सिंह रहे जिन्होंने वेबकास्टिंग के जरिये सफलतापूर्वक संचालन किया। 

कोरोना ने विश्व में शिक्षा को प्रभावित किया है: डॉ. उषा साहनी

कार्यक्रम की शुरूआत मॉ सरस्‍स्‍वती की वंदना से की गई जि‍सके बाद पुनरूत्‍थान ट्रस्‍ट के महासचिव राकेश कुमार ने पुनरूत्‍थान ट्रस्‍ट की स्‍थापना, उद्देश्‍य, लक्ष्‍य, कार्यकलाप, कार्यक्रमों और सदस्‍यों के बारे में वि‍स्‍तार पूर्वक बताया। इसके बाद कार्यक्रम को संबोधि‍त करती हुई मुख्‍य वक्‍ता डॉ. उषा साहनी ने ऑनलाइन शि‍क्षा के महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए उसकी संभावनाओं पर वि‍स्‍तार से समझाया। उन्‍होंने बताया कि‍ आज इस कोरोना-19 ने भारत ही नहीं अपि‍तु पुरे वि‍श्‍व की शि‍क्षा प्रणाली पर प्रभाव डाला है जि‍सके कारण आज हम सभी को तकनीक आधारि‍त शि‍क्षा पर पूरी तरह से निर्भर हो चुके हैं। वहीं डॉ. त्रि‍शु शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि आज के दौर में ऑनलाइन शि‍क्षा को बढावा तो मि‍ल रहा है मगर इससे बहुत तरह की समस्‍याएं हमारे सामने खडी हो गई है जि‍समें से प्रमुख है हमारा स्‍वास्‍थ। उन्‍होंने बताया कि‍ आज विद्यार्थियों की उपस्थिति, पढ़ाई की गुणवत्ता, परीक्षाओं की नि‍ष्‍पक्षता प्रभावि‍त हो रही है।

ऑनलाइन शिक्षा को सुरक्षित बनाने की जरूरत: प्रो. डॉ. दि‍लीप कुमार

कार्यक्रम के वि‍शि‍ष्‍ठ अति‍थि‍ प्रो. डॉ. दि‍लीप कुमार ने आज के दौर में हो रही ऑनलाइन शि‍क्षा प्रणाली पर ही सवालि‍या नि‍शान लगाते हुए कहा कि‍ आज पूरे भारत की केवल 65 फीसदी आबादी ही इंटरनेट का सही तरह से प्रयोग कर पा रही है, उसमें भी नेटवर्क की समस्‍या सबसे महत्‍वपूर्ण है। लगातार मोबाईल प्रयोग करने, लैपटॉप या कम्‍प्‍यूटर का प्रयोग करने से स्‍वास्‍थ संबंधी बहुत तरह की समस्‍याएं उत्‍पन्न हो रही है। उन्‍होंने बताया कि‍ ऑनलाइन शिक्षा को भवि‍ष्‍य में और बेहतर तरीके से प्रयोग करने की जरूरत है।

लॉकडाउन में ऑनलाइन से ही एक दूसरे से हो सकती है बात:  प्रो. डॉ. संजीव भानावत 

कार्यक्रम के मुख्‍य अति‍थि‍ एवं सत्र अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजीव भानावत ने कहा कि‍ आज हम सभी ऑनलाइन के माध्‍यम से ही सभी से जुड पाएं है। उन्‍होंने कहा कि‍ ऑनलाइन शि‍क्षा से बहुत तरह की समस्‍याएं है, तो वहीं भवि‍ष्‍य में इसके और बेहतर होने के आसार है। उन्‍होंने कहा कि‍ जैसे जैसे ऑनलाइन शि‍क्षा का प्रचार प्रसार होगा जैसे ही लोगों के लि‍ए बहुत तरह की नौकरी के अवसर भी ऑनलाइन खुलने शुरू हो जाएंगे। आज वैसे भी बहुत तरह की कंपनि‍यां ऑनलाईन के माध्‍यम से बहुत लोगों को रोजगार देने का भी कार्य कर रही है। ऐसे में हमें समय के साथ ऑनलाइन शि‍क्षा को भी स्‍वीकार कर लेना चाहि‍ए।

शिक्षा विकल्प नहीं बन सकती ऑनलाइन प्रणाली: डॉ. नीरज कर्ण सिंह

वेबिनार का सफल संचालन करते हुए डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा भारतीय शिक्षा प्रणाली को विस्तार जरूर दे सकती है परंतु विकल्प कदापी नहीं हो सकती। फोरी तौर पर ऑनलाइन शिक्षा इस आपदा की घडी में संवाद का माध्यम बनकर जरूर उभरी है लेकिन भारत जैसे विशाल और बहु-आयामी देश में ऑनलाइन शिक्षा विस्तार का कार्य जरूर करे न कि विकल्प बनने का ख्याल मन में रखे। ऑनलाइन शिक्षा विस्तारक है न कि भारतीय शिक्षा की जरूरत। भावुक लगाव और मूल्य रोपण में ऑनलाइन शिक्षा विफल साबित हुई है और होगी। 

इस दौरान सभी अति‍थि‍यों ने ऑनलाइन के माध्‍यम से दर्जनों प्रति‍भागि‍यों के प्रश्‍नों के उत्तर भी दि‍ए। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में लगभग 700 सौ लोगों ने अपना पंजीकरण कराया और 5000 से ज्‍यादा लोगों ने फेसबुक के माध्‍सम से कार्यक्रम में प्रति‍भाग कि‍या।

इसे भी पढ़ें:

जो गोदी मीडिया नहीं हैं वो कौन हैं? || वेब पोर्टल और साप्ताहिक अखबार ही आपकी आवाज उठाता है, वरना अफसर और नेता तुम्हारी खाल खींच लें || पूंजीपति संस्थानों में गिरवी पत्रकार तुम्हारी आवाज नहीं उठा सकते

Send Your News to +919458002343 email to [email protected] for news publication to eradioindia.com