मैंगो पार्टी में मचा बवाल: कार्यकर्ता लूट ले गए पूरा बाग!

मेरठ। जिले के पावली खास गांव में रालोद द्वारा आयोजित ‘मैंगो पार्टी’ उस समय चर्चा का केंद्र बन गई जब आमंत्रित केंद्रीय मंत्रियों के सामने ही आमों की लूट मच गई। कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य सौहार्द और संवाद था, लेकिन वह एक अराजक दृश्य में तब्दील हो गया।

इस अनोखी पार्टी का आयोजन रालोद के प्रदेश संयोजक और मीडिया प्रभारी सुनील रोहटा ने अपने निजी आम के बाग में किया था। यह आयोजन खासतौर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत चौधरी के स्वागत में किया गया था, जो मंगलवार को सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में शामिल होने मेरठ पहुंचे थे।

जैसे ही दोनों केंद्रीय मंत्री विश्वविद्यालय के कार्यक्रम से समय निकालकर पावली खास पहुंचे, वहां पहले से जमा रालोद समर्थकों और कार्यकर्ताओं का हुजूम आम के बाग में उमड़ पड़ा। सुनील रोहटा द्वारा जैसे ही आम के टोकरों को खोला गया, वैसे ही शिष्टाचार और मर्यादा की सीमाएं टूट गईं।

Chaos at Mango Party: Workers looted the entire orchard!
Chaos at Mango Party: Workers looted the entire orchard!

कुछ ही मिनटों में बदल गया नजारा

देखते ही देखते समर्थकों ने टोकरों पर धावा बोल दिया। हाथों में थैले, पॉलीथिन और यहां तक कि जेबों में भी आम भरकर कार्यकर्ता भागने लगे। स्थिति यह हो गई कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जयंत चौधरी जैसे विशिष्ट अतिथियों को केवल एक-एक आम ही मिल पाया।

यह दृश्य उस वक्त और शर्मनाक हो गया जब कुछ लोगों ने आमों को छीनने तक की कोशिश की। कई लोगों ने कैमरों और मीडिया की उपस्थिति के बावजूद संयम नहीं बरता। इससे पार्टी की गरिमा और उद्देश्य दोनों पर प्रश्नचिह्न लग गया।

वीडियो हुआ वायरल, सोशल मीडिया में आलोचना

इस पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो भी सामने आया है, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे लोग आमों को लेकर बेतहाशा भाग रहे हैं, और कोई भी व्यवस्था या शिष्टाचार का पालन नहीं कर रहा। कई लोगों को थैले और शर्ट की जेबों में आम भरते हुए भी देखा गया।

यह घटना रालोद के लिए एक असहज स्थिति बन गई है, क्योंकि वीडियो में कई लोग पार्टी के झंडे और प्रतीकों के साथ आम लूटते हुए नजर आ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं, खासकर जब इसमें केंद्रीय मंत्री भी मौजूद हों।

क्या कहना है आयोजकों का?

इस विषय में जब रालोद संयोजक सुनील रोहटा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इसे “अतिउत्साही समर्थकों की भावनात्मक प्रतिक्रिया” बताया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल आम की मिठास के बहाने नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक साथ लाना था, लेकिन कुछ लोगों के अनुशासनहीन व्यवहार से मामला बिगड़ गया। हम इसके लिए खेद प्रकट करते हैं।”

राजनीतिक हलकों में हलचल

इस घटना को लेकर विपक्ष ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने इसे “रालोद की अव्यवस्थित कार्यशैली” करार दिया, तो कुछ ने इसे “जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की भावनात्मक प्रतिक्रिया” कहकर नजरअंदाज करने की कोशिश की।

आयोजन या अव्यवस्था?

जहां एक ओर यह आयोजन स्थानीय राजनीति में एक रंगीन और हंसमुख पहल की तरह देखा गया था, वहीं दूसरी ओर इसका अंत एक हास्यास्पद और असहज दृश्य में बदल गया। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या राजनीति में जनसंपर्क के ऐसे आयोजनों को बेहतर नियोजन और अनुशासन की ज़रूरत है?