देश इतिहास के काले अध्यायों को स्मरण कर रहा है। इतिहास केवल अध्ययन का विषय नहीं होता है, बल्कि वह गलतियों के परिमार्जन और गौरवशाली क्षणों से प्रेरणा ग्रहण करने का संकल्प होता है। आखिर क्या कारण था कि हजारों हजार वर्षों से सनातन राष्ट्र रहा भारत गुलाम हुआ। विदेशी आक्रांताओं ने यहां की परंपरा-संस्कृति को रौंदा और देश को गुलाम बनाया गया। क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश को स्वतंत्र कराने की दिशा में विदेशी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी थी। जब उसकी पूर्णता का समय आया तो इस सनातन राष्ट्र को विभाजन की त्रासदी का सामना करना पड़ा।
ये बातें मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। वे बुधवार को लोकभवन में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। विभाजन विभीषिका पर आधारित लघु फिल्म के जरिए आमजन का दर्द दिखाया गया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो किसी युग में नहीं हुआ, वह कांग्रेस की सत्ता के प्रति अभिलिप्सा ने विभाजन की त्रासदी के रूप में प्रस्तुत किया और स्वतंत्र भारत को ऐसा नासूर दे दिया, जिसका दंश आज भी भारत आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के रूप में झेल रहा है। यदि तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने दृढ़ता का परिचय दिया होता तो दुनिया की कोई ताकत इस अप्राकृतिक विभाजन को मूर्त रूप नहीं दे पाती।
येन-केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त करने के लिए कांग्रेस ने देश को दांव पर लगा दिया गया। 1947 और इसके बाद से यह लगातार हो रहा है। जब भी इनके हाथ में सत्ता आई, इन लोगों ने देश की कीमत पर राजनीति की। इसकी कीमत जनता को लंबे समय तक चुकानी पड़ी है। विभाजन की दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी हम सबको उन्हीं गलतियों की परिमार्जन की तरफ ध्यान आकृष्ट करती है।
सीएम योगी ने कहा कि 2047 में शताब्दी महोत्सव के समय भारत विकसित, शक्तिशाली, सशक्त होगा। ऐसे सशक्त भारत के निर्माण के लिए पीएम ने आजादी के अमृत महोत्सव में पंच प्रण की बात की थी। उसमें से सबसे महत्वपूर्ण नागरिक कर्तव्य का हम सभी को पालन करना होगा। राष्ट्रप्रथम के भाव के साथ काम करना होगा। यह जीवन का संकल्प बनेगा तो भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने में देर नहीं लगेगी।
पिछले दस वर्ष में भारत की प्रगति दुनिया को अचंभित करती है। भारत सुरक्षित है तो विश्व मानवता सुरक्षित है। दस वर्ष पहले भारत दसवीं, आज पांचवीं और अगले तीन वर्ष के अंदर भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।