धर्म हो या पत्रकारिता, वकालत हो या कोई अन्य पेशा … ऐसा लगता है कि भारत में अब कोई कानून किसी के लिए लागू नहीं होता है… देश में बढ़ रहे मुकदमो की संख्या को देखकर ये लग रहा है कि न केवल आने वाले समय में न्याय से लोगों का भरोसा उठ जायेगा बल्कि लोग मुकदमा दर्ज कराने, अदालतों के चक्कर लगाने तथा न्याय पाने की चर्चा करने जैसे मुद्दों को बकवास और गैर जरूरी समझने लगेंगे…
हाल ही में राजस्थान में आईआईटी बाबा के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह जी को को पुलिस ने गिरफ्तार किया उनपर आरोप लगाया कि उनके पास से गांजा बरामद हुआ है। पुलिस ने बताया कि उन्हें जमानत दे दी गई है…
अब सवाल यह है कि आईआईटी बाबा के साथ न्यूज नेशन के स्टूडियो में जो कुछ भी किया उससे न केवल मानवीयता शर्मशार हो रही है बल्कि मीडिया से भी लोगों का भरोसा उठ रहा है…. आईआईटी बाबा ने पुलिस बुलाया और पुलिस से शिकायत की मगर अब तक न तो कोई मुकदमा दर्ज हुआ और न ही कोई कार्रवाई की गई बल्कि साइड इफेक्ट यह हुआ कि गांजा के आरोप में आईआईटी बाबा को ही लपेट दिया गया…
यहां अब सवाल यह बनता है कि-
- क्या आईआईटी बाबा को टारगेट किया जा रहा है?
- क्या अब आईआईटी बाबा की जिंदगी मुश्किल बनाई जा रही है?
- क्या देश में किसी के मुताबिक व्यवहार न करने पर षडयंत्र का शिकार होना पड़ेगा?
यह सवाल इसलिये उठ रहा है कि क्याेंकि आईआईटी बाबा के साथ जो छल किया गया है वह बर्दास्त नहीं किया जा सकता… जब समाज को आईना दिखाने वाले मीडिया के लोग ही इस तरह का व्यवहार करेंगे तो आखिर जनता किस पर अपना भरोसा जतायेगी?
आईआईटी बाबा तो इतने सरल हैं कि उन्होंने मीडिया को बाईट देते हुये कहा कि उनके पास गांजा है… हालाकि भारत में गांजा को कानूनी रूप से अवैध माना गया है… लेकिन सवाल यह भी तो है कि किसी के साथ जबरदस्ती करना भी विधि संवत नहीं है… गांजा गलत है… और टीआरपी के लिये षडयंत्र करना सही… वाह क्या बात है सर जी…
अब कुछ सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब हमें ढूंढना होगा…
- क्या आईआईटी बाबा की लेागों के बीच में चर्चा ज्यादा होना साधु महात्माओं के लिये चिंता का विषय बन गई है?
- क्या अब आईआईटी बाबा को सुरक्षा की आवश्यकता पड़ गई है?
- आखिर आईआईटी बाबा से इतना ज्यादा क्यों चिढ़ रहे हैं कुछ भगवाधारी संत–महात्मा?
आईआईटी बाबा की प्रसिद्ध से लोग परेशान तो हैं… क्योंकि न्यूज नेशन के स्टूडियो में जिस तरह से उनपर भगवा वस्त्र धारण करने वाले चीख रहे थे उनकी आंखों में इस बात का प्रमाण दिख रहा था… जब कैमरा उनके पास आता तो उनके चीखने की आवाजें और तेज हो जाती थी… उनका उग्र व्यवहार और तीखा हो जाता… मगर कैमरे के दूर जाते ही वो कमोवेश चुप हो जाते थे…
तो भाई चैनल को टीआरपी की भूख थी… और चैनल में अचानक प्रकट होने वाले संतों को प्रसिद्धि की… यही कारण था कि पूरे घटनाक्रम के दौरान अभय सिंह मुस्कुराते रहे और स्वयं को संत कहने वाले उन्हें गरियाते रहे…
बहरहाल अपनी राय हमें कमेंट में अवश्य बतायें कि क्या आईआईटी बाबा को अब सुरक्षा मिलनी चाहिये या उन्हें इस तरह के कार्यक्रमों में जाने से परहेज करना चाहिये… आपकी राय से हमें बल मिलता है और आपके सब्सक्राब करने ऊर्जा आती है तो हमें सब्सक्राइब व फालो करें… जय हिन्द…