- तुष्टिकरण के वशीभूत हैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी
- ओबीसी के प्रति यह राहुल और ममता का प्रेम
- राहुल ने पिछड़ों के साथ नाइंसाफी का किया दावा
आरक्षण को लेकर तुष्टिकरण के वशीभूत कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस नेत्री ममता बनर्जी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ जो षडयंत्रकारी खेल रच रहे हैं, वह देश में भयंकर तनाव पैदा कर सकता है। दिल्ली की एक चुनावी जनसभा में गुरुवार को फिर राहुल गांधी ने पिछड़ों के साथ नाइंसाफी होने का दावा करते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस ओबीसी आरक्षण खत्म करना चाहते हैं। राहुल ने बुधवार को दावा किया कि उनकी दादी प्रधानमंत्री थी, उनके पिता भी प्रधानमंत्री थे, यही नहीं डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी पीएमओ में उनका जाना आना लगा रहता था, उन्हें पता है कि पिछड़ों के हक कैसे मारे गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राहुल गांधी के इस बयान का जवाब देने का अवसर मिला तो उन्होंने कांग्रेस को ही आईना दिखाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने तो सही तरीके से आरक्षण न लागू करके पूरी पीढ़ियां बर्बाद कर दी।
संयोग देखिए जब एक तरफ राहुल पिछड़ों के आरक्षण को लेकर सक्रियता दिखा रहे हैं, वहीं कांग्रेस शासित राज्य में पूरे के पूरे मुस्लिम समाज को ही पिछड़ा वर्ग में डाल दिया गया हैं, जबकि भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। आरक्षण का आधार मात्र शैक्षणिक सामाजिक पिछड़ापन होगा, इसके अलावा कुछ भी नहीं हो सकता।
वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को दो टूक शब्दों में कहा कि उन्होंने मुस्लिम समाज की जिन 40 जातियों को ओबीसी सर्टिफिकेट दिया था, उन्हें किाी भी हालत में निरस्त नहीं किया जाएगा।’ असल में बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण कोटे में मुसलमानों को शामिल करने के लिए जिन 40 जातियों को राज्य सरकार ने सर्टिफिकेट बनाया था, उसे रद्द कर दिया था। एक दिन बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाईकोर्ट का फैसला मानने से इंकार करते हुए कहा कि वह अब जारी किए गए सर्टिफिकेट को रद्द नहीं करेंगी।
हकीकत तो यह है कि कांग्रेस ने पहले ही कर्नाटक में समूचे मुस्लिम समाज को आरक्षण दे रखा है। पश्चिम बंगाल में यही हुआ। बिहार में लालू यादव भी मुसलमानों को उसी 27 प्रतिशत ओबीसी कोटे में शामिल करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। मतलब यह कि जो 27 प्रातशत आरक्षण हिन्दू धर्म के नागरिकों के लिए था ,उसमें अब मुस्लिम समाज के लोगों की सेंध मारी हो चुकी है। राहुल का विचार तो बिल्कुल साफ है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के 50 प्रतिशत के गैप को हटाने की बात मानी है। इससे तो हड़बोंग मच जाएगा जब ओबीसी को मिले आरक्षण में बंदरबांट होने लग जाएगी।
बहरहाल राहुल गांधी ने अपनी दादी, पिता और मनमोहन सिंह को भी पिछड़ों के साथ नाइंसाफी करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को दोषी ठहराकर यह साबित कर दिया कि उन्हें ओबीसी से बहुत हमदर्दी है। इसलिए वह अपने परिवार को भी इस नाइंसाफी के लिए दोषी मानते हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि राहुल पिछड़ा वर्ग के प्रति जिस प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं, वह संदिग्ध ही नहीं, बल्कि वास्तविक पिछड़ों के प्रति साजिश है। यदि यह साजिश ओबीसी वर्ग में प्रचारित हो गई तो राहुल और ममता जैसे ओबीसी समर्थकों की ही मुसीबतें बढ़ेंगी।