Kalapi Jalaun Shiv Mandir: सावन के पवित्र माह में यूं तो शिवालयों में भक्तों का जमावड़ा लगता ही है लेकिन उत्तर प्रदेश में जालौन स्थित धर्म नगरी कालपी में शिव मंदिरों की छटा अद्भुत नजर आती है। यहां शिवमंदिरों की एक लंबी श्रंखला है इस कारण सावन भर इस नगरी की आबोहवा ऊं नम: शिवाय के नाद से गुंजायमान रहती है।
कालपी में भगवान शिव के नौ विख्यात मंदिर हैं और इसी कारण कालपी (Kalapi Jalaun Shiv Mandir) को बुंदेलखंड की काशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां के भगवान शिव के नौ रूपों (नवेश्वरों) के दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बराबर फल प्राप्त होता है। यहीं वजह है कि सावन मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शनों और पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं।
कालपी (Kalapi Jalaun Shiv Mandir) के प्रमुख शिव मंदिरों में पातालेश्वर, ढोडे़श्वर, तिगडे़श्वर, रामेश्वर, बानेश्वर, गोपेश्वर, भोलेश्वर, कपिलेश्वर एवं फालेश्वर, नवेश्वर मंदिर के अलावा बलखंड़ी देवी मंदिर स्थित महामृत्युंजय भगवान का मंदिर, आनंदी देवी शिवालय, भूरेलाल का शिवालय आदि हैं। इनकी अपनी अलग-अलग मान्यता है। इन मंदिरों में सालभर श्रृद्धालुओं का आना जाना रहता है, लेकिन सावन के महीने में भक्तों का मेला सा लग जाता है।
Kalapi Jalaun Shiv Mandir में हैं नौ शिव मंदिर
कालपी के नौ शिव मंदिर स्थानीय लोगों में नवेश्वर के नाम से विख्यात हैं। इनमें पातालेश्वर मंदिर का विशेष महत्व हैं। यमुना तट पर स्थित यह मंदिर करीब पांच हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग स्वयं भू शिवलिंग है। मंदिर के पुजारी वीरेंद्र पाठक बताते हैं कि जब कोई भक्त मंदिर में पूजा करने पहुंचता है तो शिवलिंग पहले से पूजित मिलता है।
ढोडे़श्वर महादेव मंदिर का नवेश्वरों में ऊंचा स्थान है। तरीबुल्दा स्थित यह मंदिर करीब ढाई सौ वर्ष पुराना बताया जाता है। इसका निर्माण शंकर गिरि नागा बाबा के शिष्य शिव भक्त ढोड़े केवट ने कराया था। मंदिर के संत अवधेश महाराज बताते हैं कि जो भक्त यहां घुटनों के बल पर शिवलिंग के दर्शन करता है, उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
बलखंडी देवी मंदिर परिसर में बना महामृत्युंजय भगवान का मंदिर जीवन देने वाला है। मंदिर के महंत जमुनादास कहते हैं कि शिव आराधना के लिए यह अनूठा मंदिर है। भगवान मृत्युंजय मनुष्य के दुखों, परेशानियों और अहंकार का हरण करने वाले हैं। इसके अलावा नगर में गोपेश्वर महादेव, रामेश्वर महादेव, भोलेश्वर मंदिर भी हैं, जिनकी अपनी अलग प्रतिष्ठा है।