Kalyan Singh Nagar को लेकर योगी सरकार इन दिनों सबसे ज्यादा अलर्ट है, माना जा रहा है कि 2027 के चुनावों से पहले ही यूपी में नया जनपद जन्म ले लेगा और इसका फायदा भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहेगी?
साथियों नमस्कार, इन दिनों बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज है लेकिन उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरणों को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के भीतर हिंदुत्व और सामाजिक न्याय इन दोनों को एक साथ साधकर चलने वाले सबसे बड़े चेहरों में शुमार है कल्याण सिंह। कल्याण सिंह इन दोनों धाराओं के सबसे बड़े चेहरे के रूप में भारतीय जनता पार्टी के भीतर और बाहर स्थापित है। स्वाभाविक है भारतीय जनता पार्टी कल्याण सिंह जी के इस मोल को जानती है और वो जानती है कि कल्याण सिंह जी इस हिंदुत्व को अंगीकार करने वाले वर्ग में और सामाजिक न्याय के लिए छटपटाहट रखने वाले वर्ग में दोनों में एक समान शिद्दत के साथ स्वीकार किए जाने वाले व्यक्ति थे।
Kalyan Singh Nagar का निर्माण चुनावों से पहले संभव
आज भी जब वो नहीं है तब भी उनका एक राजनैतिक उत्तराधिकार चल रहा है… तो भाजपा ने फिर ये तय किया अब कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में स्वर्गीय कल्याण सिंह जी के नाम पर एक जिले का निर्माण कर कर दिया जाए और उसका नाम कल्याण सिंह जी के नाम पर रखा जाए। कोशिशें शुरू हो गई। और अगर ऐसा हो पाया तो यह एक बड़ी घटना होगी क्योंकि मुझे याद नहीं उत्तर प्रदेश में फिलहाल किसी राजनेता के नाम पर जिला हो ऐसा मुझे याद नहीं।
मायावती जी ने कुछ प्रयोग करने की कोशिश की थी। कांशीराम जी के नाम पर कुछ स्थानों के नाम रखे थे। बाद में अखिलेश यादव जी की सरकार आई तो उन्होंने वो नाम हटा दिए थे। तो इस मामले में फिर कल्याण सिंह जी इकलौते होंगे कि उनके नाम पर अगर जिला हो जाए।
एक नाम प्रस्तावित किया गया है Kalyan Singh Nagar इसमें तीन हिस्सों को एक साथ लाकर जोड़कर जिला बनाने की कोशिश हो रही है। इसमें अलीगढ़ का अतरौली इलाका है। अतरौली वो विधानसभा क्षेत्र जहां से कल्याण सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। उनका गृह क्षेत्र गंगीर क्षेत्र है और बुलंदशहर का डिवाई इलाका। इन तीनों को एक साथ जोड़कर एक नई प्रशासनिक इकाई, एक नया जिला बनाने की कवायद चल रही है।
बेटे ने भी लिखा था पत्र
काफी समय पहले कल्याण सिंह जी के बेटे राजवीर सिंह जो सांसद भी रहे एटा से, उन्होंने एक चिट्ठी भी लिखी थी उत्तर प्रदेश सरकार को और कहा था कि बाबूजी के नाम पर एक जिला होना चाहिए। लेकिन चिट्ठिया तो चिट्ठिया है। अगर सरकार और एक राजनीतिक तंत्र किसी व्यक्ति के नाम पर जिला बनाने की दिशा में आगे बढ़े तो मान लीजिए ये तभी संभव है जब जिसकी स्मृति में जिला बन रहा है उसका कद इतना बड़ा हो कि उससे सरकार और पार्टी दोनों को लगे कि भाई ऐसा करेंगे तो हमको भी लाभ होगा। विशेष रूप से चुनावी लाभ होगा।
कल्याण सिंह जी जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने खुद भी इस बात की कोशिश की थी कि अपनी अतरौली को वो जिला बना दे। अपनी अतरौली इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जो स्थिति मुलायम सिंह यादव के लिए सैफई की थी वही स्थिति कल्याण सिंह जी के लिए अतरौली की मान लीजिए। वही आत्मीयता, वही लगाव, वही संबंध, वही केमिस्ट्री वहां के लोगों के साथ। तो कल्याण सिंह ने कोशिश की है कि अलीगढ़, डिवाई और कासगंज इन तीनों को मिलाकर एक नया जिला बना दें और उसका नामकरण कर दें अतरौली। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
कल्याण सिंह की सरकार थी। मुख्यमंत्री थे, ताकतवर मुख्यमंत्री थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने इसके लिए कोशिश शुरू की, एक तो विरोधी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया और उसके बाद फिर राम जन्मभूमि आंदोलन के चलते उनकी सरकार भी चली गई। तो कुल मिला के वो प्रयास फलीभूत नहीं हो पाया। लेकिन उनके हृदय में यह बात थी कि अतरौली के लिए कुछ बड़ा होना चाहिए। तो कल्याण सिंह जी जब नगर जिला बनाना चाहते थे तो उसका नाम अतरौली रखना चाहते थे। लेकिन अब योगी की सरकार कल्याण सिंह जी के नाम पर जिला बनाने की तैयारी में है। तो उस जिले का नाम प्रस्तावित किया गया है कल्याण सिंह नगर।
कल्याण सिंह के लिये श्रद्धांजलि होगा Kalyan Singh Nagar
भारतीय जनता पार्टी की ही यह एक बड़ी श्रद्धांजलि होगी अपने बड़े कद के नेता कल्याण सिंह जी को और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले अगर यह संभव हो गया, बात जमीन पर उतर गई तो भारतीय जनता पार्टी इसका लाभ केवल उत्तर प्रदेश नहीं देश भर में इसको प्रचारित करेगी और वो बताएगी कि पिछड़ों के जो नायक हैं, पिछड़ों के जो प्रतिमान हैं राजनीति में उनके प्रति भाजपा के भीतर कितना सम्मान है। आपको याद होगा कि कल्याण सिंह जी को नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के ठीक बात का जो पायदान है उस पद्म विभूषण से सम्मानित किया है। कल्याण सिंह जी के नाम पर उत्तर प्रदेश में कई संस्थान अस्पताल ये सब रखे गए हैं। लेकिन जिले का होना और बड़ी बात हो जाती है।
मुझे स्मरण में नहीं कि हाल फिलहाल के 10 20 या 25 साल में जो कोई सक्रिय राजनीति में रहा हो ऐसे किसी राजनेता के नाम पर जिला बनाया गया हो। उत्तर प्रदेश में ऐसा कतई स्मरण नहीं। तो अगर कल्याण सिंह जी के नाम पर ये होता है तो यह एक बड़ी बात हो जाएगी। शासन के स्तर पर कोशिश प्रयास शुरू हो गया है। प्रक्रिया शुरू हो गई है। कागजों की अदला बदली हो रही है। और कुल मिलाकर संकेत यही मिल रहे हैं कि सरकार की कोशिश है कि 2027 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तक यह काम परवान चढ़ जाए और उत्तर प्रदेश में एक नया जिला आकार ले ले जिसका नाम हो कल्याण सिंह नगर।