maleria meerut news: समय से कराएं जांच, बचें मलेरिया की मार से
maleria meerut news: समय से कराएं जांच, बचें मलेरिया की मार से

तुरंत हो जांच, न आये मलेरिया से जीवन पर आंच!

0 minutes, 3 seconds Read
  • सभी सरकारी अस्पतालों और एचडब्ल्यूसी पर मलेरिया की जांच नि:शुल्क
  • समय से जांच व इलाज न होने से जानलेवा हो सकता है मलेरिया

maleria meerut news: चार से आठ घंटे के चक्र में बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, ठंड लगना, पसीना आना और मिचली व उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करें। उनकी मदद से प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखा कर उनकी सलाह पर मलेरिया की जांच कराई जानी चाहिए । मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है । समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है । मलेरिया की दवा बीच में नहीं छोड़नी है।

लक्षण समाप्त होने पर भी मलेरिया का पूरा इलाज करवाना है। जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीएची, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स एचडब्ल्यूसी पर मलेरिया की जांच नि:शुल्क है । यह कहना है कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा .पूजा शर्मा का ।

उन्होंने बताया कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानि की स्थिति बन जाती है। सेरेब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानि पहुंचाते हैं । गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ.साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है । यह बीमारी मादा मच्छर एनाफिलीज के काटने के कारण होती है । अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है।

जिला मलेरिया अधिकारी सत्य प्रकाश ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यत: शाम और सुबह के बीच काटता है । अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है । मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है ।

संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन का परामर्श है कि गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं।

एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉक्टर अशोक तालियान का कहना है कि जिला मलेरिया अधिकारी सत्य प्रकाश और मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन लोगों की सतर्कता अधिक आवश्यक है । मलेरिया बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी किे्रम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें ।

घरों में किटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं।

author

Pratima Shukla

प्रतिमा शुक्ला डिजिटल पत्रकार हैं, पत्रकारिता में पीजी के साथ दो वर्षों का अनुभव है। पूर्व में लखनऊ से दैनिक समाचारपत्र में कार्य कर चुकी हैं। अब ई-रेडियो इंडिया में बतौर कंटेंट राइटर कार्य कर रहीं हैं।

Similar Posts

error: Copyright: mail me to info@eradioindia.com