पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं की अगुवाई में कई दिनों से चल रही सियासी जंग के बाद 55 दिनों से फरार तृणमूल कांग्रेस (TMC) के दबंग नेता शाहजहां शेख को अंततः पुलिस ने गुरुवार की सुबह गिरफ्तार कर ही लिया। हालांकि, इससे पहले 55 दिन तक सूबे की सरकार उसकी गिरफ्तारी टालती रही। उससे पता चलता है कि अदालत के साथ साथ चैतरफा दबाव पड़ने पर ही उसे गिरफ्तार किया गया।
यदि पुलिस यह मानती है कि उसकी गिरफ्तारी के लिए ठोस आधार थे तो पहले ही इसके लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाये गये..? विपक्षी दलों द्वारा उसकी गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठाये जाने के साथ ही गवर्नर ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 72 घंटे की समयावधि मुकर्रर कर दी थी। इसके साथ ही कोलकाता हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर तल्ख टिप्पणी करते हुए सवाल उठाये थे..? पुलिस के अनुसार उसे संदेशखाली में प्रवर्तन दल की टीम पर किये गये हमले के मामले में गिरफ्तार किया गया है, लेकिन जो खबरें मिल रही हैं, उनके मुताबिक वह एक बहुत बड़ा गुनहगार है और उसे सत्ता का संरक्षण हासिल है। गिरफ्तारी के बाद तृणमूल कांग्रेस ने शाहजहां शेख को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित करने की घोषणा की है।
दरअसल यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपी शेख की उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में ऐसी हैसियत है कि उन्हें छेड़ने के लिए कोई पुलिस अफसर तैयार ही नहीं था। सच तो यह है कि शेख शाहजहां समाज का खलनायक जरूर है, किन्तु वह टीएमसी का हीरो है। यही कारण है कि वह खुलेआम जो भी अनैतिक और गैरकानूनी काम करता था टीएमसी नेतृत्व उसे वुछ भी गलत नहीं मानता था।
कोलकाता हाईकोर्ट के तमाम आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए शाहजहां शेख जैसे लोग अपनी आपराधिक प्रवृत्ति को किसी भी सियासी पार्टी के लिए जरूरत कैसे बन जाते हैं, यह बात इस जघन्य अपराधी को पता थी। यही कारण है कि वह अपनी आपराधिक छवि के बोझ को अपना सदगुण मानता था। शेख पर इतने आरोप हैं फिर भी वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा तो इसका मतलब है कि स्थानीय एवं राज्य स्तर पर टीएमसी कार्यकर्ताओं और सरकार व पुलिस में उसके समर्थकों की संख्या पर्याप्त है। इसकी वजह से वह अब तक गिरफ्तारी से बचता रहा है।
ऐसे लोग समाज के प्रति चाहे जितना गुनाह करें, किन्तु राजनीतिक पार्टियों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। हाईकोर्ट और सूबे की अवाम लगातार शाहजहां शेख की गिरफ्तारी के लिए सरकार को निर्देश देते रहे, किन्तु सूबे में ममता बनर्जी की अगुवाई में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने ऐसा रुख अपना लिया जिसकी वजह से कानून हाथ मलता रहा और शेख मजे करता रहा। इस तरह के एहसानों को उतारने का मौका चुनाव के वक्त आता है। ये गुनहगार चुनाव में अपने अहसानों को चुकाने के लिए सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में सभी तरह के आपराधिक हथकंडे अपनाते हैं। नतीजा यह होता है कि चुनाव के वक्त व्यापक हिंसा होती है।
शाहजहां शेख केवल ईडी पर हमले का ही दोषी नहीं है, बल्कि संदेशखाली में जमीन हड़पने के साथ साथ महिलाओं का यौन शोषण का भी अपराधी है। इसके बावजूद पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर हमला करने के मामले में दिखाई है। शाहजहां के खिलाफ सौ से अधिक शिकायतें दर्ज हैं।
उसकी गिरफ्तारी को लेकर संदेशखाली की महिलाओं ने कई दिनों तक आंदोलन किया था। शेख के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज है।
बेहद शर्मनाक बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस की संस्थापक और मुखिया ममता बनर्जी हैं, जो कि सूबे में पार्टी की सरकार चला रही हैं। ममता बनर्जी खुद एक नारी हैं, इसके बावजूद महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म समेत जमीन हड़पने, हत्या का प्रयास करने तथा जांच करने गई प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर हमला करने के आरोपी शाहजहां शेख को उनकी पार्टी और सरकार शह देती रही, जिसकी वजह से वह बचता रहा।
यहां तक कि दुर्दान्त अपराधी होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी के वक्त उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई। अल्पसंख्यकों का वोट बैंक बनाये रखने के लिए कोई किस हद तक गिर सकता है, यह तृणमूल कांग्रेस से सीखा जा सकता है।