अनिवार्य और अतिरिक्त

ये कुछ
अतिरिक्त से लोग ही
सही से समझ पाते हैं
कविता की अनिवार्यता को ,
अन्यथा कविताएं सिर्फ
पाठ्यक्रमों का ही हिस्सा बनी रहतीं ,

ठीक उसी तरह जैसे
हमारा खालीपन ही
धीरे-धीरे भरता चला जाता है
उदासियो से उपजी
वीरान जगहों को ,
क्योंकि कभी-कभी
स्वयं के लिए
यूं ही भटकना भी अच्छा होता है ,

जिंदगी की पाठशाला में
कुछ प्रश्नों को
अतिरिक्त होते हुए भी
अनिवार्य हो जाता है
उनका हल किए जाना,,है न !!

नमिता गुप्ता “मनसी”
मेरठ, उत्तर प्रदेश