पंडित मुकेश मिश्रा
नागों के प्रति आस्था, श्रद्धा, समर्पण का पावन त्यौहार नाग पंचमी इस बार 9 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा।वैदिक पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि 8 अगस्त को देर रात 12 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और 9,10 अगस्त की मध्य रात्रि 03 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार इस त्यौहार का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है क्योंकि इस बार छह शुभ संयोगों का इस पर्व पर समागम रहेगा।इनमें शिववास योग, सिद्ध योग, साध्य योग, बव और बालव, करण योग शामिल है। साथ ही इस बार नाग पंचमी हस्त नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। इन दुर्लभ संयोगों में पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी और जीवन सुख-समृद्धि से भर जाएगा। बता दे, नाग पंचमी पर नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन का विशेष महत्व है। इस त्योहार पर नाग का प्रतीक बनाकर दुग्ध स्नान कराया जाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा से आध्यात्मिक शक्ति, मनोवांछित फल और संपन्नता आती है। इससे भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। इसी दिन कालसर्प दोष की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष और राहु दोष है तो इस दिन रुद्राभिषेक करने से शुभ फल मिलता है।
यह है नाग पंचमी की मान्यता
नाग पंचमी मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के मुताबिक, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बना दिया और खुद स्वर्ग की यात्रा पर निकल गए थे। पांडवों के बाद धरती पर कलियुग का आगमन हो गया था। राजा परीक्षित की मृत्यु नाग देव के डंसने से हुई थी। परीक्षित का पुत्र जनमेजय बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पृथ्वी के सभी नागों को मारने के लिए नाग दाह यज्ञ किया। इस यज्ञ में पूरी पृथ्वी के नाग आकर जलने लगे। जब ये बात आस्तिक मुनि को मालूम हुई तो वे तुरंत राजा जनमेजय के पास पहुंचे।आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय को समाझाया और ये यज्ञ रुकवाया। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। उस दिन आस्तिक मुनि के कारण नागों की रक्षा हो गई। इसके बाद से नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरूआत हुई।यज्ञ की आग को ठंडा करने के लिए आस्तिक मुनि ने उसमें दूध डाल दिया था। इस मान्यता की वजह से नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
पुराणों के अनुसार सांप काटने से किसी की मौत हुई हो तो उनको सद्गति नहीं मिलती है। ऐसी आत्माओं को मोक्ष नहीं मिलता। ऐसे में नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सांप के डसने का भय नहीं रहता है।साथ ही जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई है उन्हें मुक्ति मिलती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी पर्व के दिन नाग देवता की पूजा करने से और सांपों को दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। दरअसल हिन्दू धर्म के अनुसार सृष्टि पालनहार भगवान विष्णु भी शेषनाग पर विराजमान हैं। वहीं नाग देवता भगवान शिव के प्रिय गणों में से एक हैं। ऐसे में इस दिन भगवान शिव और नाग देवता की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने सांपों को नाग पंचमी के दिन पूजे जाने का वरदान दिया था। इसलिए इस दिन नाग की पूजा का विधान है।
पूजा -विधि
नागपंचमी के दिन सुबह स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद शिवलिंग पर जल अर्पित कर शिवजी की पूजा कर लें। इसके बाद घर के मेन गेट, घर के मंदिर और रसोई के बाहर के दरवाजे के दोनों तरफ खड़िया से पुताई करें और कोयले से नाग देवताओं के चिन्ह बनाएं। इसके बाद नागदेवात की पूजा की पूजा शुरू कर नागदेवता को फूल, फल, धूप, दीपक, कच्चा दूध और नैवेद्य चढ़ाएं। अंत में नाग देवता की आरती उतारें।