- संजय सिंह को जमानत, आप पार्टी में खुशी का माहौल
- आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है, ‘इसे नजीर न समझें’
- केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन का क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिह को दी गईं जमानत से आम आदमी पार्टी में खुशी का माहौल है। इस जमानत से न केवल ‘आप’ को, बल्कि मानो तो संपूर्ण विपक्ष को ईडी के बहाने पीएम मोदी को घेरने के लिए एक हथियार मिल गया है। हालांकि, यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गौर किया जाए तो इस जमानत से बहुत ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आदेश में कहा गया है कि इस आदेश को नज़ीर न समझा जाए।
बहरहाल, संजय सिंह को जमानत मिलने से कई तथ्य सामने आ गए हैं। पहला तो यही कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी गई शक्तियों में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी वजह से आरोपियों की जमानत ही नहीं होती। यदि सत्येन्द्र जैन को उनकी जमानत अवधि समाप्त होने से पहले ही अदालत ने दोबारा जेल भेज दिया तो इसका मतलब है कि उनके खिलाफ धनशोधन का गंभीर मामला है, जिसकी अदालत अनदेखी नहीं कर सकती। यदि बार-बार मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं जिला अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक खारिज हो रही हैं तो ऐसा कुछ ईडी के पास सबूत है जिसकी वजह से संबंधित अदालतें आरोपियों की अपेक्षा ईडी की दलीलों पर विश्वास कर रही हैं।
दरअसल संजय सिह को मात्र जमानत देकर सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है, उन्हें आरोपों से बरी नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों ने दो टूक शब्दों में कहा कि इस फैसले को नजीर के तौर पर प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, जिससे कि मामले के गुण-दोष पर विचार हो सके। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट बचाव पक्ष के इस तर्क से सहमत थे कि संजय सिह के ठिकानों से धन की बरामदगी नहीं हुई है, लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जज यह भी कहते हैं कि संजय सिह के खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा।
इसका मतलब जजों का मानना था कि संजय सिह पर मुकदमा तो चलता रहे, यदि प्रवर्तन निदेशालय को अब पूछताछ नहीं करनी है तो उन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता। इसलिए जजों ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता से बार-बार कहा कि वह पूछ कर बताएं कि क्या अभी पूछताछ की जरूरत है अथवा उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। दिलचस्पी की बात तो यह है कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता ने कहा कि संजय सिह को जमानत दी जानी चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि अदालतें उन लोगों को यदि जमानत पर रिहा करना चाहती है, जिनसे तत्काल पूछताछ नहीं होनी है। सुप्रीम कोर्ट खुद भी इस बात को दोहरा चुकी है कि आरोपी अपनी जमानत के लिए कोशिश कर सकते हैं और अदालतों को चाहिए कि आरोपियों को जमानत देने में किसी तरह के दबाव में न आएं।
बहरहाल संजय सिह के खिलाफ मामला यही था कि उन्होंने शराब घोटाले में लिप्त आरोपियों से बातचीत की थी और उनका संदेश मुख्यमंत्री को दिया था, किन्तु अरविन्द केजरीवाल ने तो यह बयान देकर खुद ही संजय सिह के गुनाह को कम कर दिया कि विजय नायर उनके दो मंत्रियों आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करता था। निश्चित रूप से शीर्ष अदालत ने यह स्वीकार किया हो कि वह मेरिट पर जमानत नहीं दे रहा है और इस फैसले को मिसाल के रूप में नहीं लिया जाए किन्तु शराब घोटाले को समझने के लिए संजय सिह का मामला बहुत सहायक साबित होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिह को राजनीति करने की छूट देकर बिल्कुल सही किया कि वह राजनेता होने के नाते सियासत कर सकते हैं, किन्तु शराब घोटाले पर कोई बात, टीका टिप्पणी या बहस सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकते क्यों कि उन पर यह मामला तो निचली अदालत में अभी चलेगा ही।