पटना। सिमरिया गंगा घाट धार्मिक स्थल के रूप में काफी प्रचलित है। खासकर मिथिला क्षेत्र और उत्तर बिहार के लोगों केलिए यह आस्था का केंद्र माना जाता है। मिथिला क्षेत्र के लोगों केलिए जन्म से लेकर मरण तक के क्रियाकर्म में इस स्थल का विशेष महत्व है। अब तक सिमरिया गंगा घाट में कुंभ और अर्धकुंभ का आयोजन किया जा चुका है। हर साल यहां कल्पवास मेले का आयोजन भी होता है।
इसी ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इस गंगा घाट के समुचित विकास के लिए बिहार सरकार ने कदम बढ़ाये हैं। बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा इस ऐतिहासिक महत्व के सिमरिया घाट का कायाकल्प कराया जा रहा है। कार्य ससमय और गुणवत्तापूर्ण हो, इसके लिए बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा लगातार स्थल निरीक्षण करके पूरी मॉनेटरिंग कर रहे हैं।
करीब सवा सौ करोड़ की लागत से इस पूरे कार्य को युद्धस्तर पर पूर्ण करने केलिए विभाग तत्पर दिख रहा है। पहले यह योजना एक सौ पंद्रह करोड़ की बनी, परंतु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि इस घाट के विकास में और अधिक राशि की भी जरूरत होती है तो सरकार उसे प्रदान करेगी।
सिमरिया के गंगा घाट में साढ़े पांच सौ मीटर लंबाई में पक्के घाट का निर्माण कराया जा रहा है। श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान की सुविधा देने केलिए घाट के निचली सतह का विस्तार 81 मीटर तक किया जा रहा है। घाट की बैरिकेडिंग के साथ साथ निर्देशों एवं चेतावनियों के बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं।
यात्रियों की सुरक्षा केलिए एसडीआरएफ एवं डीडीआरएफ के गोताखोरों की टीम मोटर बोट के साथ तैनात की गयी है। टीम द्वारा लगातार नदी में गश्त लगाया जा रहा है। यदि कोई गहरे पानी में तैरने केलिए जाते दिखे तो उन्हें वापस लौटने को कहा जाता है। यदि कोई गलती से चले गए और किसी मुसीबत में फंस गए तो उन्हें रेस्क्यू कर बोट की मदद से किनारे लाया जाता है।
घाट के साथ साथ श्रद्धालुओं के ठहराव केलिए जी+2 धर्मशाला का निर्माण कराया जा रहा है। आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इस धर्मशाला के निर्माण कार्य की गति देखकर अधिकारियों एवं कर्मियों को इसके निर्धारित समय से पहले पूर्ण हो जाने की उम्मीद है। घाट पर श्रद्धालुओं हेतु कपड़े बदलने आदि केलिए चेंजिग रूम भी बनाये जा रहे हैं। साथ ही पर्याप्त संख्या में शौचालय एवं चापाकल की व्यवस्था की जा रही है।
वाहनों केलिए समुचित पड़ाव स्थल की व्यवस्था भी की जा रही है, ताकि वाहनों की भीड़ से श्रद्धालुओं को घाट तक जाने आने में परेशानी का सामना न करना पड़े। हर की पौड़ी के तर्ज पर विकसित किये जा रहे सिमरिया घाट पर गंगा आरती केलिए आरती स्थल का निर्माण भी कराया जा रहा है। हर की पौड़ी में जहां गंगा की एक अलग धारा निकाल कर घाट को विकसित किया गया है, वहीं सिमरिया में गंगा के मुख्य घाट को ही विकसित किया जा रहा है।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सिमरिया में कल्पवास मेले का आयोजन किया गया है। इस कल्पवास मेले में श्रद्धालु एक महीने तक रहकर प्रतिदिन गंगा स्नान एवं पूजा आदि करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर मां गंगा की कृपा से बड़े पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष कल्पवास मेले में पहुंच रहे श्रद्धालुओं का अनुभव अन्य वर्षों से बिल्कुल अलग दिख रहा है। कल्पवास करने वालों केलिए बहुत ही अल्प समय में जो वैकल्पिक व्यवस्थाएं इस वर्ष की गयी है, उसे देखकर श्रद्धालुगण गदगद दिखे। पहले लोग स्थल की खुद साफ सफाई कर खुद झोपड़ी का निर्माण करके कल्पवास करते थे। शौचालय एवं पानी आदि की बड़ी समस्या रहती थी। परंतु इस वर्ष स्थिति बिल्कुल बदली दिखी।
स्थायी कार्य में अधिक समय की आवश्यकता थी। परंतु जल संसाधन मंत्री संजय झा ने अपने साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिमरिया घाट का निरीक्षण करवाया। निरीक्षण के क्रम में ही उन्होंने मुख्यमंत्री को सिमरिया घाट एवं कल्पवास मेले के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी देते हुए इस स्थल के विकास हेतु अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने उसी समय हामी भर दी और कार्य को युद्धस्तर पर शुरू करने का निर्देश दिया।
कल्पवास मेले का आयोजन की तिथि नजदीक होने के कारण सर्वप्रथम श्रद्धालुओं केलिए अस्थायी व्यवस्था का कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया गया। गत वर्ष कल्पवास स्थल पर गंगा का पानी आ जाने के कारण श्रद्धालुओं को बड़ी समस्या हुई थी। इसी को देखते हुए उक्त स्थल को भरकर ऊंचा किया गया। साथ ही मंत्री श्री झा के निर्देश पर विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा तंबू टेंट आदि की व्यवस्था की गयी।