- रिसर्च डेस्क ई-रेडियो इंडिया
नमस्कार मैं त्रिनाथ और आप देख रहे हैं ई-रेडियो इंडिया का खास कार्यक्रम देसी पड़ताल…. कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच साइन हुए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग के पीछे की असल कहानी बतायेंगे आज के देशी पड़ताल में…. और यह भी बतायेंगे कि आखिर इस समझौते पर भाजपा के पेट में मरोड़ क्यों उठ रही है?
इससे पहले कि हम आगे बढ़ें आइये पहले समझ लेते हैं कि क्या है यह समझौता
वर्ष 2008 में तत्कालीन सरकार में रहने के दौरान कांग्रेस पार्टी ने चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ चाइना से एक विशेष मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर साइन किया था, इस समझौते को सार्वजिक रूप से तो किसी को नहीं बताया गया लेकिन अन्दरखाने इसका लाभ शायद कांग्रेस अब भी ले रही है….
अगस्त 2008 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, परिवार के साथ चीन गईं थी। इस एमओयू पर कांग्रेस के जनरल सेकेटरी राहुल गांधी, सोनिया गांधी और चीन के उपराष्ट्रपति शी जिनपिंग के हस्ताक्षर हैं जिनमें यह लिखा था दोनों पक्ष अन्तर्राष्ट्रीय, क्षेत्रीय द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार विमर्श करते रहेंगे। उस दौरान चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ थे, उनके एक भोज कार्यक्रम में कांग्रेस की अध्यक्ष वहां शामिल हुई थी।
भाजपा क्यों उठा रही मुद्दा?
अब भाजपा उसी एमओयू को लेकर हमलावर है… भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एकसुर में कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी और पूर्व महासचिव राहुल गांधी को जवाब देने की मांग की है। भाजपा अध्यक्ष के अनुसार समझौते के बाद ही तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने चीन के सामने हजारों किलोमीटर जमीन समर्पित कर दी। जब डोकलाम हुआ तो राहुल गांधी भारत में चीनी राजदूत से मिलने चीनी दूतावास में चले गए। यह बात उन्होंने छुपाने की भी कोशिश की। भाजपा का कहना है कि अब जब चीन के साथ एक बार फिर तनाव है तो राहुल गांधी सेना का मनोबल गिरा रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष ने पूछा कि क्या ये समझौते का असर है?

लेकिन अब लगे हाथ ये भी जान लीजिये कि 2008 का यह समझौता एकदम से भाजपा को इतना प्रिय कैसे हो गया? दरअसल अरुणांचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिरगाव ने दोकलम पर चीनी सेना द्वारा भारतीय क्षेत्र में कब्जा करने का मुद्दा संसद में उठाया था जिसका समर्थन कांग्रेस ने दिल खोलकर किया।
राहुल गांधी ने दी थी पीएम को चुनौती
राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुये कहा था कि उनमें चीन के मुद्दे पर बोले की हिम्मत नहीं है…. बस इसके बाद मोदी सेना भड़क गई…. कांगजी कीड़ों ने अन्तत: 2008 में हुये इस समझौते को निकाला और झाड़फूंकर नया कपड़ा पहनाया और इसे कांग्रेस के बयान से टैली कर चीन से मिलीभगत करने का ठीकरा कांग्रेस के हिस्से में डाल दिया।

जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इंकार
इसी समझौते को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली गई जिसमें यह मांग की गई कि कांग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच 2008 में हुए कथित समझौते की एनआईए या सीबीआई से जांच कराई जाये। लेकिन इस जनहित याचिका को स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि कि यह इस देश की एक पार्टी की दूसरे देश (चीन) की इकलौती पार्टी के साथ करार है और यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडा हुआ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी समझौते पर हैरानी जताई।

कोर्ट ने कहा, ‘हमारे सीमित अनुभव में हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि किसी राजनीतिक दल ने किसी दूसरे देश के साथ समझौता किया हो।’ सुप्रीम कोर्ट की इसी टिप्पणी को लेकर बीजेपी अध्यक्ष ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सवाल किए हैं।
तो मुझे उम्मीद है कि आज के देशी पड़ताल में आपको यह समझ में आ गया होगा कि आखिर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर क्यों है और 2008 में किये गये समझौते के जांच कराने की मांग जोर-शोर से क्यों उठ रही है?