अपने बारे में लिखना, वो भी एक बेबाक पत्रकार के लिए? ईमानदारी की सबसे बड़े इम्तिहान से गुजरने जैसी स्थिति को बतलाता है। शुरू से आज तक इम्तिहान से डरता आया हूँ। विद्यालय में कब कैसे इम्तिहान आ जाता था समझ नहीं आता था। इम्तिहान में कभी भी दिल नहीं करता था बैठने को। विद्यालय के इम्तिहान में विषय से सवाल होते थे, शिक्षक जब कॉपी की जांच करते थे तो उन्हें सवाल का जवाब बेहतर पता होता था। परिचय के इस इम्तिहान में सवाल मेरी अंदरूनी इच्छा, नजरिया, मेरी ईमानदारी, मेरा विश्वास, सोच और समझ पर है। और इन सारे पहलुओं पर जवाब आपको भी बेहतर मालूम है।