कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर विश्व आयुर्वेद मिशन ने की अपील
प्रयागराज(आरएनएस)। कोरोना वायरस के नये वेरियेंट की वजह से तीसरी लहर आने की आशंकाओं के बीच इससे बचाव के लिए आयुर्वेद को कारगर बताया गया। विश्व आयुर्वेद मिशन की ऑनलाइन स्वास्थ्य परिचर्चा में शरीर में रोगों से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को ही सर्वोत्तम उपाय कहा गया।
“कोरोना की सम्भावित लहर का प्रतिषेध-आयुर्वेद दृष्टिकोण“ विषयक परिचर्चा में देश के शीर्ष आयुर्वेद संस्थानों के विशेषज्ञों ने कोरोना से बचाव के उपाय बताए। विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो (डॉ) जी.एस तोमर ने कहा कि हम कोरोना की दूसरी लहर की विभीषिका झेल चुके हैं। पुनः ऐसी परिस्थितियां निर्मित ना हो, इसके लिये सभी को बेहद सतर्क और सावधान रहना होगा। हमें अपना खानपान में सावधानी रखनी होगी और उचित दिनचर्या का पालन करना होगा।
उन्होंने कोविड वैक्सीन को कोरोना संक्रमण से बचाव का सबसे कारगर उपाय बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति न केवल खुद वैक्सीन की दोनों डोज लगवाये, बल्कि दूसरों को भी इसके लिये प्रेरित करे। भारत सहित पूरे विश्व मे ओमिक्रोन नामक वैरिएंट ने भय की स्थिति बना दी है। हमें इससे भयभीत होने की जगह सावधानी एवं सतर्कता के साथ इसका सामना करना होगा। कोरोना ही नहीं, कोई भी वायरस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जब तक हम व्याधि से लड़ने की क्षमता बरकरार रखते हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के डीन प्रोफेसर के.एन द्विवेदी ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ हमें मानसिक तौर पर सकारात्मक सोच रखते हुए भावी संकट से सावधान रहना होगा। मानसिक कुपोषण से अवसाद, मैनिया, डिप्रेशन जैसी समस्या उत्पन्न होने से कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने के बजाय लोग हार मान लेते हैं।
आयुर्वेद में ओज एवं इम्म्युनिटी को बढ़ाने के लिए रसायन चिकित्सा के साथ साथ सत्ववाजय चिकित्सा, योग एवं ध्यान के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखा जा सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली की निदेशक प्रो तनूजा नेसरी ने कोरोना काल में संस्थान द्वारा किये गए कार्यों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा संस्थान में 600 में से 599 कोरोना मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर गए। असल में आयुर्वेद किसी भी रोग का इलाज करने के बजाय शरीर को उससे लड़ने के लिए मजबूत और प्रभावी बनाने का काम करता है।
गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय जामनगर के कुलपति प्रो. अनूप ठाकर ने कहा कि एक बार फिर लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद और आयुष के बताए हुए तरीकों को अपनाना चाहिए। जो लोग ये उपाय कर रहे हैं, वे इन्हें जारी रख सकते हैं। जिस तरह कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान लोगों ने कोविड अनुरूप व्यवहार के साथ गिलोय, आयुष काढ़ा, अश्वगंधा, मुलेठी, कालीमिर्च, अदरक, दालचीनी, हल्दी जैसी चीजों का इस्तेमाल खुद को भीतर से मजबूत करने के लिए किया था, वे अभी भी करें तो बेहतर होगा।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय के पूर्व आयुर्वेद सलाहकार डॉ. डी.सी कटोच ने कहा कि आहार, विहार, आचार एवं विचार का होलिस्टिक एप्रोच हमें किसी भी वायरस से बचाने में सक्षम है। डॉ शांति चौधरी ने बताया कि कोरोना काल में चिकित्सा सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। सरकार भी लोगों के स्वास्थ्य के प्रति ध्यान दे रही है, नए-नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। इन सब के बावजूद हमें स्वयं अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन आयुर्वेद चिकित्साधिकारी एवं विश्व आयुर्वेद मिशन के प्रदेश सचिव डॉ. अवनीश पाण्डेय ने किया।