युगद्रष्टा

काले सायों ने घेरा है,जबकि घना अंधेरा है।लंबी है काली रात बड़ी;अभी दूर बहुत सवेरा है।। अरमानों के उजाले,चकनाचूर हो चुके हैं।तन्हा अंधेरे में रहने को;हम मजबूर हो चुके हैं।। उम्मीद की किरण भी,कहीं दिखती नहीं है।उजालों में रहने की ख्वाहिश;फिर भी मिटती नहीं है।। इस अंधेरी रात में,भला ये पास कौन आता है।यह यमराज […]

कविता: हम मोहब्बत वतन से करेंगे

ना किसी गुलबदन से करेंगेना किसी जानेमन से करेंगेहम मोहब्बत वतन से करेंगे उनका दुनिया में कुछ हित नहीं हैराष्ट्र को जो समर्पित नहीं हैवह जगत में कहीं जाकर रह लेराष्ट्र के बिन सुरक्षित नहीं है इसकी रक्षा लगन से करेंगेहम मोहब्बत वतन से करेंगे फूल में खुशबू रंगत चमन कीजब तलक है सुरक्षा वतन […]

Kavi Satyapal Satyam: इन गीतों में कौन छुपा हैं

Kavi Satyapal Satyam: गीत चांदनी में पढे गीत सन 2009में l (इन गीतों में कौन छुपा हैं ) लौ लगी है लौ, तुम्हारे नाम कीइसको सीता राम की बोलूं या राधेश्याम की पहले जैसा अब नही कुछ द्वन्द हैमहकता वातावरण चौबन्द हैध्यान में झरता हुआ मकरन्द हैमेरे जीवन में परम आनंद हैइक सुलगते दिन को […]

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