ई रेडियो इंडिया
15 अप्रैल की रात माफिया अतीक अहमद की हत्या के साथ ही 44 साल से चली आ रही खौफ की बादशाहत का भी अंत हो गया. जरायम की दुनिया में रहते हुए अतीक ने अकूत संपत्ति बनाई थी और एक बड़ा गैंग था जो उसके एक इशारे पर अपराध को अंजाम देता था. अतीक की हत्या के बाद अब ये सवाल सबकी जुबान पर है कि अपराध की दुनिया में अतीक की गद्दी का वारिस कौन बनेगा. अतीक ने जो गैंग तैयार की है, उसका लीडर कौन बनेगा.
अतीक अहमद ने 2019 में वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. नैनी जेल से लड़े गए इस चुनाव में अतीक को महज 855 वोट मिले थे. उस चुनाव में दिए हलफनामे के मुताबिक अतीक के पास 25.50 करोड़ रुपये की घोषित संपत्ति थी. हालांकि, ये अतीक अहमद की अकूत संपत्ति के सामने कुछ नहीं है, जो उसने जमा कर रखी थी. इसका सबूत तब सामने आया, जब योगी सरकार ने अतीक के ऊपर शिकंजा कसना शुरू किया. प्रशासन ने अतीक की 1600 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की, कई अवैध कब्जों पर बुल्डोजर चला. बताते हैं कि इसके बाद भी माफिया के पास अथाह संपत्ति बची हुई थी. ऐसे में अब कौन इस साम्राज्य को संभालेगा.
अतीक अहमद और उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन के पांच बेटे हैं. बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में बंद है. दूसरा बेटा अली प्रयागराज की नैनी जेल में बंद है. तीसरा बेटा असद 13 अप्रैल को झांसी में हुई मुठभेड़ में एसटीएफ के हाथों मारा गया था. अतीक के बाकी दो बेटे अभी नाबालिग हैं, जो अभी प्रयागराज के राजरूपपुर में एक बालसुधार गृह में कैद हैं.
रिवायत के मुताबिक तो अतीक की विरासत उसके बड़े बेटे उमर को मिलनी चाहिए लेकिन अतीक ने हमेशा अपने दूसरे नंबर के बेटे अली को आगे बढ़ाया. सियासत में भी लाने की कोशिश की लेकिन इसके पहले अली मोस्ट वांटेड बना और जेल पहुंच गया.
ऐसे में सिर्फ शाइस्ता परवीन का ही नाम सामने आता है जो अतीक के जेल जाने के बाद क्राइम क्वीन बन गई. प्रयागराज में रीयल इस्टेट के धंधे में अतीक ने धाक जमा रखी थी. अतीक और अशरफ के जेल जाने के बाद शाइस्ता ने जमीन से जुड़े धंधों की बागडोर अपने हाथ में ले ली.
अतीक के जेल जाने के बाद उसके खास गुर्गे और शूटर अधिकतर शाइस्ता के आस-पास ही मौजूद रहते थे. अतीक के जेल में बंद रहते हुए उसने उमेश पाल के कत्ल को अंजाम तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई. सारे शूटर्स के शहर छोड़ देने के बाद भी वह प्रयागराज में ही रही. जब उमेश पाल की पत्नी ने उसके खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई तब वह फरार हुई.
बेटा असद मारा गया तो लगा कि अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए वह सरेंडर कर सकती है लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. यही नहीं, शौहर अतीक और देवर अशरफ की हत्या के बाद उनके जनाजे में भी वह नहीं पहुंची. ऐसे में सवाल है कि वह कौन सा राज है जिसके चलते शाइस्ता पुलिस से भाग रही है.