लखनऊ, यूपी में गलती करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ जांच और ऐक्शन कैसे हो योगी सरकार ने इसकी रूपरेखा तैयार कर दी है। नई व्यवस्था के तहत प्रक्रिया में कई संशोधन किए गए हैं। मसलन, अब किसी आरोपित कर्मचारी को अपना पक्ष रखने के लिए अधिकतम 2 महीने का वक्त मिलेगा।
समकक्ष को जांच अधिकारी नहीं बनाया जाएगा और एक ही गलती के लिए बार-बार सजा नहीं मिलेगी। जांच के नाम पर कर्मचारियों को अब बेजा परेशान नहीं किया जा सकेगा। कार्मिक विभाग ने विभागाध्यक्षों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश भेज दिया है।राज्य सरकार सरकारी विभागों के कामकाज में पारदर्शी व्यवस्था लागू करा रही है।
इसके लिए यह व्यवस्था की जा रही है कि अधिक दिनों तक न तो जांच चलती रहे और न ही कर्मियों को इसके नाम पर बेजा परेशान किया जाए। आरोपित कर्मियों को स्पष्टीकरण के लिए अधिकतम दो माह का समय दिया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में ही इसे बढ़ाया जाएगा।
निर्देश दिए गए हैं कि जांच आख्या में प्रस्तावित दंड के विषय में कोई भी संस्तुति नहीं की जाएगी। एक ही मामले में दो बार दंड नहीं दिया जाएगा। सतर्कता विभाग की खुली या गोपनीय जांच प्राथमिक जांच आने के परिणाम आने पर पुन: प्राथमिक जांच नहीं जाएगी। आरोप पत्र में अब सतर्कता जांच का भी उल्लेख नहीं किया जाएगा।
आरोपित कर्मचारी को दंडादेश जारी करने के निमित्त कारण बताओ नोटिस दिए जाने की जरूरत नहीं होगी। नियुक्ति अधिकारी से नीचे स्तर का अधिकारी पद से हटाने या सेवा से हटाने के संबंध में आदेश नहीं कर पाएगा। बर्खास्तगी का आदेश अब तत्काल प्रभाव से लागू होगा, जिससे कोर्ट में जाने पर संबंधित कर्मचारी को किसी तरह से कोई राहत न मिले।
नियुक्ति प्राधिकारी राज्यपाल के होने की स्थिति में संबंधित कार्मिक के बारे में लोग सेवा आयोग से अनुमति ली जाएगी। एक ही मामले में अलग-अलग जांच अधिकारी नामित नहीं किया जाएगा।