Meerut Scissors Industry: मेरठ में कैसे उद्योग बहुत ही पुराना उद्योग है और इससे जुड़े हुए लगभग 1000 परिवारों को इस उद्योग के धीरे-धीरे मरणासन्न अवस्था में पहुंचने का दुख है। वैसे तुम मेरठ कई सारी वस्तुओं के एक्सपोर्ट के लिए जाना जाता है लेकिन किसी की बात जब आती है तो मेरठ का नाम प्राथमिकता पर लिया जाता है।
Meerut Scissors Industry: जाने कैसे हुई शुरुआत?
कहा जाता है कि यहां पर अखुंजी नाम का एक लोहार रहता था जो कि मुगल काल के दौरान चमड़ा काटने के लिए दो तलवारों को मिलाकर एक ऐसे यंत्र का आविष्कार किया जिसको कैसी कहा गया। तभी से भारत में कैची को लेकर जब भी नाम आता है तो उसमें मेरठ को विशेष तौर पर श्रेय जाता है। मेरठ में कैंची बनाने का कार्य सन 1800 से हो रहा है। इस उद्योग से 50 से 60 हजार लोग जुड़े हुए हैं। 350 साल पुराने इस कारोबार को फिलहाल अब किसी सहारे की जरूरत है।
अब कम हो रही है Meerut Scissors Industry की मांग
वर्तमान समय में कैंची पर जीएसटी की दर 18% होने की वजह से Meerut Scissors Industry की मांग देश भर में कम हो गई है इसके अतिरिक्त चीन के बाजार से आयातित केंसियों के वजह से भी यहां पर डिमांड में कमी देखी जा रही है। चीन की केंसियों में फीनेसिंग अच्छी होने की वजह से लोग उसे ज्यादा पसंद करते हैं इसके अलावा चाइनीस केंसियों के पसंद किए जाने का एक कारण यह भी है कि उनका मूल्य कम होता है।
Meerut Scissors Industry: कहां बनती है कैचियां?
मेरठ में कैंची कारोबार का मुख्य स्थान मोहल्ला कैंचियान के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा लोहियानगर में कैंची इंडस्ट्री तेजी से स्थापित हो रही हैं। इसमें प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से तकरीबन 70 हजार लोग जुड़े हैं। मेरठ के कैंचियान मोहल्ले में अधिकतर सभी घरों में सिर्फ कैंची बनाने का कारोबार होता है।
Meerut Scissors Industry में कई कारोबारी तो ऐसे हैं, जिनके यहां पिछली 7 पुश्तों से यही काम होता आ रहा है। ऐसे में हजारों की संख्या में काम कर रहे कैंची कारोबारियों को पहले चाइनीज कैंची और फिर लॉकडाउन की वजह से अभी तक रोजगार पर संकट का सामना करना पड़ रहा है।
Meerut Scissors Industry में लगभग 600 इकाइयां है और लगभग 7 हजार कारीगरों को यहां रोजगार मिलता है। कहते हैं कि कैंची का हर जोड़ा करीबन 22 कुशल कारीगरों के हाथों से होकर गुजरता है। ये सभी कारीगर अलग-अलग प्रक्रियाओं के विशेषज्ञ होते हैं। जिसमें काटना, धार देना, जोड़ना, चमकाना और भी बहुत कुछ शामिल होता है।
Meerut Scissors Industry: Start scissor business and earn millions
Meerut Scissors Industry: How industry is a very old industry in Meerut and about 1000 families associated with it are sad that this industry is slowly reaching its dying state. By the way, Meerut is known for the export of many items, but when it comes to anything, Meerut’s name is taken on priority.
Meerut Scissors Industry: How did it start?
It is said that there lived a blacksmith named Akhunji who during the Mughal period invented a device called kaisi by combining two swords to cut leather. Since then, whenever the name comes about scissors in India, Meerut gets special credit in that. The work of making scissors is being done in Meerut since 1800. 50 to 60 thousand people are associated with this industry. This 350-year-old business now needs some support.
Now the demand of Meerut Scissors Industry is decreasing
At present, due to the GST rate of 18% on scissors, the demand for Meerut Scissors Industry has reduced across the country, in addition to this, due to imported scissors from the Chinese market, there is also a decrease in demand here. People like it more because of the good finishing in Chinese cansies, apart from this, one of the reasons for the liking of Chinese cansies is that their value is less.
Meerut Scissors Industry: Where are the scissors made?
The main place of scissors business in Meerut is known as Mohalla Kainchiyan. Apart from this, scissor industries are being established rapidly in Lohianagar. About 70 thousand people are directly and indirectly involved in this. In Kainchian locality of Meerut, most of all the houses have only business of making scissors.
There are many businessmen in the Meerut Scissors Industry who have been doing this work for the last 7 generations. In such a situation, thousands of scissor traders are still facing employment crisis due to first Chinese scissor and then lockdown.
There are about 600 units in Meerut Scissors Industry and about 7 thousand artisans get employment here. It is said that every pair of scissors passes through the hands of about 22 skilled craftsmen. All these artisans are experts in different processes. This includes cutting, edging, joining, polishing and much more.
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