विपक्षी एकता परवान चढ़ने से पहले ही हो जाएगी 'कुर्बान'
विपक्षी एकता परवान चढ़ने से पहले ही हो जाएगी 'कुर्बान'

विपक्षी एकता परवान चढ़ने से पहले ही हो जाएगी ‘कुर्बान’

author
0 minutes, 2 seconds Read

विपक्षी एकता में दरार का सबसे बड़ा कारण आया सामने? यहां जानें किस नेता ने कर दी बड़ी बगावत?

  • ई रेडियो इंडिया, त्रिनाथ मिश्र

विपक्ष के गठबंधन यानी की इंडिया के लोगों के सामने इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यह है कि इनका लीडर कौन होगा तथा इनमें सीटों का बंटवारा कैसे होगा? पश्चिम बंगाल में ‘डिजिटल वारियर्स’ संगठन जो कि तृणमूल कांग्रेस का सहयोगी संगठन है उसने एक आवाज बुलंद की ‘बंगाल की जनता बोल रही है कि ममता बनर्जी पीएम बनेंगी’

कुणाल घोष ने कहा कि सात बार लोकसभा की सदस्य रहीं हैं, चार बार केंद्रीय मंत्री और तीसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री हैं इसलिए ममता बनर्जी ही पीएम की दावेदार हैं।

विपक्ष के लोगों में सीनियरिटी के आधार पर ममता बनर्जी के अलावा राहुल गांधी, अरविन्द केजरीवाल, नीतीश कुमार व शरद पंवार हैं। इसमें से एनसीपी में दरार आने के बाद शरद पंवार की दावेदारी धाराशाई हो गई है। उधर बिहार से नीतीश कुमार खुद की अहमियत को ज्यादा बताते हुए पीएम का दावेदार बता रहे हैं जनता के बीच इसकी सीधी घोषणा नहीं कर रहे वो अलग बात है।

राहुल गांधी के पीएम बनने की बात पर शत्रुध्न सिन्हा ने बात को घुमाते हुए कहा कि यह अच्छा रहेगा कि कोई महिला देश की पीएम बने। उनका इशारा ममता बनर्जी की ओर था।

अब यह पेंच फंस रहा है कि ममता बनर्जी की व नीतीश कुमार की अपनी दावेदारी के बीच कौन विपक्ष की ओर से पीएम का चेहरा कौन बनेगा? अब बात आती है राहुल गांधी की, तो एक बात से कांग्रेस पीछे हट जाती है कि, राहुल को पीएम कैंडिडेट बनने की घोषणा होते ही नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी का चुनाव होगा और फिर नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी धूल-धूसरित होकर कोना पकड़ लेंगे। ऐसे में इंडिया नाम का गठबंधन किसी भी प्रकार के विपरीत परिणाम का ठीकरा राहुल गांधी के सर पर मढ़ देगा।

सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस में किसी नेता की इतनी हैसितयत नहीं है वो राहुल गांधी से अलग किसी नेता में पीएम मटेरियल होने की बात कर ले। अन्य पार्टियों में तो नेता दबे स्वर में कुछ बोल भी देते हैं लेकिन कांग्रेस में मुख्य नेता के अलावा किसी के बारे में सोचना तक गुनाह माना जाता है। ऐसे में विपक्षी एकता का शोर धीरे-धीरे शांत होने की ओर अग्रसर होगा और 2024 में भी एकमत न होने का खामियाजा विपक्षी दलों को भुगतना पड़ सकता है। फिलहाल आज इतना ही, यूट्यूब पर देख रहे हैं तो सब्सक्राइब कीजिए, फेसबुक, ट्विटर या कू-एप पर देख रहे हैं तो फॉलो कर दीजिए ताकि हमारी आपकी मुलाकात रोजाना होती रहे। अब दीजिए इजाजत नमस्कार…

author

editor

पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

Similar Posts

error: Copyright: mail me to info@eradioindia.com