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यह द्वीप इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को दिया तोहफे में

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तमिलनाडु भाजपा प्रमुख अन्नामलाई ने लगाया आरोप
1975 तक यह द्वीप था भारत का हिस्सा
इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को तोहफे के रूप में दिया

लोकसभा चुनाव के दौरान कच्चातिवु द्वीप की हकीकत सामने आते ही सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। दरअसल तमिलनाडु प्रदेश के भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 1975 तक यह द्वीप भारत का था, किन्तु तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परिणामों की परवाह किए बिना इस द्वीप को तोहफे के रूप में श्रीलंका को दे दिया। यह द्वीप तमिलनाडु राज्य के समुद्र तट से मात्र 25 किमी की दूरी पर है।

अन्नामलाई ने जो आरोप लगाया था उसका मकसद यह था कि इस सूबे के मछुआरे जब मछली पकड़ने समुद्र में जाते हैं तो गलती से वह उस द्वीप के तट पर चले जाते हैं और श्रीलंका के तटरक्षक उन्हें अरेस्ट कर लेते हैं, लेकिन यह आरोप मात्र एक सूबे के एक मछुआरा वर्ग के वोटरों का समर्थन करने तक ही सीमित नहीं रहा। अब कच्चातिवु द्वीप के बहाने कांग्रेस सरकारों की क्षेत्रीय सुरक्षा एवं भू-राजनीति में संवेदनहीनता व दिशाहीनता का काला अध्याय खुलने लगा है। रविवार को विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने जहां कांग्रेस की सरकारों पर तंज कसा, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मेरठ की अपनी रैली में कांग्रेस को आईना दिखाते हुए अदूरदर्शी पार्टी साबित करने की कोशिश की।

1975 में आपातकाल के दौरान तो सारी विपक्षी पार्टियों के दिग्गज नेता​ जेल में थे, इसलिए कांग्रेस कदाचित यह आरोप न लगा सके कि इस निर्णय में विपक्ष भी शामिल था, किन्तु इतना जरूर है कि अब उसे देश के सीमावर्ती इलाकों में विवादों पर जवाब तो देना ही पड़ेगा। जिन मामलों में गलतियां हुईं हैं, चाहे वह जम्मू-कश्मीर में कबाइलियों के साथ पाक सेना को रोकने के लिए अक्टूबर 1948 में देर से लिया गया निर्णय हो अथवा अन्तिम रूप से उन्हें सूबे से बाहर निकालने के पहले ही बिना सोचे समझे युद्ध विराम की घोषणा हो। तिब्बत के मामले में ढुलमुल नीति और सियाचिन सहित सैकड़ों किमी चीन के हाथ गंवाने के लिए कांग्रेस की पूर्व सरकारों को जवाब नहीं देते बना था। आज श्रीलंका को एक द्वीप देने मात्र की बात नहीं रह गई है।

बात यह है कि चीन के हाथों की कठपुतली श्रीलंका सहायता तो हमसे लेता है और चीन की जासूसी जहाज को भारत के खिलाफ जासूसी करने के लिए अपने समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करने की इजाजत देता है। श्रीलंका तो ‘बैठूं तेरी गोद में उखाड़ू तेरी दाढ़ी’ का खेल खेल रहा है और हमारे नेताओं ने बिना कुछ सोचे समझे ही एक द्वीप दान में देकर दुश्मन को घर में बैठा लिया। अब कांग्रेस इस मामले में जवाब भले न दे, आलोचना तो बर्दाश्त करनी ही पड़ेगी।

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Neha Singh

नेहा सिंह इंटर्न डिजिटल पत्रकार हैं। अनुभव की सीढ़ियां चढ़ने का प्रयत्न जारी है। ई-रेडियो इंडिया में वेबसाइट अपडेशन का काम कर रही हैं। कभी-कभी एंकरिंग में भी हाथ आजमाने से नहीं चूकतीं।

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