इश्क़ जैसा था तो लेकिन था नही।
इसलिए वो रूह में उतरा नही।
खुद को दरिया कह रहा था प्यार का।
जो हमारी प्यास तक पंहुचा नही।
आपको मिलते भला हम किस तरह,
हमसे हमको आपने मांगा नही
इक़ कयामत इस पे टूटी एक दिन
दिल हमारा मद्दतों धड़का नही।
खूब बहकाया सभी को इश्क़ ने।
सिर्फ मैं ही आज तक बहका नही
–पंकज अंगार
8090853584
डी. एम. मिश्र की आठ चुनावी ग़ज़लें – eRadioIndia