- प्रेम शर्मा, नई दिल्ली
Pradhani Chunaav News: जी हाॅ इस बाॅत को नकारा नही जा सकता कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था विश्व की सबसे पवित्र मानी जाती है। ऐसे में भारत में त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के तह्त चुनी जाने वाली गाॅव की सरकार कहे या फिर छोटी सरकार के लिए आरक्षण की घोषणा से पूर्व ही गाॅव गाॅव चुनावी चक्कलस के साथ खेमेबाजी का दौर शुरू हो चुका है। विश्व में सर्वाधिक जनप्रतिधि एक साथ चुने जाने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की घोषणा के बाद बिसात बिछनी शुरू हुई थी कि हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों की आरक्षण प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 24 घन्टे में सरकार से जबाब मांगा है।
सरकार निश्चित तौर से जबाब तैयार कर चुकी है और उसके जबाब से काफी हद तक सहमत भी होगी। इस बीच अपनी ग्राम पंचायत,ब्लाक और जिला पंचायत के आरक्षण घोषित होने के उपरान्त समान्य, आरक्षित सीटे होने से उत्साहित उम्मीदवार पूरे जोरशोर से मैदान में उतर आए है। हालाॅकि कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक के बाद कुछ उम्मीदवार सहमे लेकिन वे इस बाॅत के लिए तैयार है कि वो नही सही तो उनका कोई दूसरा हाथ इस बार मैदान में जरूर आएगा।
Pradhani Chunaav News: त्रिस्तरीय चुनाव में होगी आजमाइस
उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आठ लाख उनहत्तर हजार आठ सौ चौदह जनप्रतिधि चुने जाएगे। इनमें जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में 75, ब्लाक प्रमुख 826, ग्राम प्रधान 58194, ब्लाक स्तर पर 75855 सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य के रूप में 7,31,813 सदस्य चुने जाएगें। यानि एक साथ इतने जनप्रतिनिधि विश्व के किसी भी देश या राज्य में नही चुने जाते होगें। उत्तर प्रदेश में इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में केन्द्र से लेकर राज्य तक सत्ताशीर्ष भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा करके इस बार के पंचायत चुनाव को काफी रोमाॅचकारी बना दिया है।
ज्ञात हो कि चुनावी तैयारियों को लेकर सीएम योगी ने एक इंटरव्यू में कहा कि लोगों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार को कैसे काम करना है, चुनाव कैसे शांति पूर्वक आयोजित किए जाने हैं? उत्तर प्रदेश में किसी को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सीएम ने कहा था कि पंचायत चुनाव भी जीतेंगे और 2022 में भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से यूपी में सरकार भी बनाएगी। दरअसल, गांव की सरकार बनाने के लिए होने वाले पंचायत चुनाव में हिंसा और उपद्रव का पुराना इतिहास रहा है। लिहाजा राज्य निर्वाचन आयोग इस बार शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए हर संभव कोशिशें कर रहा है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार अपने अन्य अधिकारियों के साथ अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी के साथ बैठक करने वाले हैं। बैठक में वोटरों को लुभाने के लिए अवैध शराब की सप्लाई, माहौल बिगाड़ने के लिए हथियारों की तस्करी आदि समेत मुद्दों पर चर्चा होगी। इतना ही नहीं संवेदनशील जिलों में पुलिस फोर्स की तैनाती पर भी चर्चा होनी।
अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा के अनुसार अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी के साथ बैठक में चुनाव से पहले मंडल और जिलेवार संवेदनशीलता आंकी जाएगी। इसके बाद सुरक्षाबलों की उपलब्धता, उनके आवागमन और तैनाती स्थल पर पहुंचने में लगने वाले समय को ध्यान में रख कर यह भी निर्णय लिया जाएगा कि चार चरणों के इस चुनाव में किस चरण में किस मंडल के कौन-कौन से जिले शामिल किये जाएं। इस बार के चुनव में खास बाॅत यह कि इस बार निर्वाचन आयोग ने एक जिला एक चरण की तर्ज पर चुनाव कराने की तैयारी की है। इसके तहत सभी मंडलों के अंतर्गत आने वाले जिलों में सभी पदों के लिए एक ही चरण में मतदान होंगे।
राजनीतिक दलों का भी है अच्छा खासा रुझान
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम और मंडलायुक्त को निर्देश भी जारी कर दिया है। प्रदेश में पंचायत राज संस्थाओं के त्रिस्तरीय चुनाव का ऐलान 24 से 26 मार्च के बीच किया जा सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में 75 जिला पंचायतों, 826 विकास खंडों और 58,194 ग्राम पंचायतों के चुनाव चार चरण में कराने की तैयारी की है। पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण का निर्धारण 17 मार्च तक करना है। इधर गांव की सरकार में भागीदारी के लिए राजनैतिक दलों की बाॅत करे तो पंचायत चुनाव के लिए बसपा ने भी कमर कस ली है।मायावती ने पार्टी के सभी मुख्य जोन इंचार्जों के साथ मीटिंग करने और पंचायत चुनाव जीतने के लिए रणनीति बनाने वाली है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों से कहा है कि चुनाव पूरी ताकत से लड़ें जाएं।
गौरतलब है कि 2015 के पंचायत चुनाव में बीएसपी को जिला पंचायत सदस्य चुनाव में शानदार जीत मिली थी। इसलिए पार्टी इस बार भी जिला पंचायत सदस्य के लिए अपने अधिकृत प्रत्याशी उतारने वाली है। जल्द ही पार्टी द्वारा तय प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। यही नही दिल्ली में सरकार चलाा रही आप और उसके वरिष्ठ नेता सांसद संजय सिंह लम्बे अरसे से यूपी में डेरा डाले है उन्होने भी अपनी पार्टी के काफी प्रत्याशियों की घोषणा कर अपनी आमद यूपी में दर्ज करा दी है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने भी विरोधी दलों से मुकाबला करने के लिए जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर चुनावी गणित बैठानी शुरू कर दी है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव इस ओर इशारा कर चुके हैं कि पंचायत चुनाव को गंभीरता से लड़ा जाएगा।कांग्रेस में 9 मार्च से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक प्रत्याशी अपना आवेदन मांगा है। कांग्रेस के जिला कार्यालय पर ये आवेदन जमा किए जाएंगे। इसके बाद पार्टी तय करेगी कि उम्मीदवार किसे बनाया जाए। अब बाॅत करे सत्तारूढ़ भाजप की तो भाजपा में टिकट के दावेदारों की संख्या सबसे अधिक है। ऐसे में टिकट को लेकर भाजपा मे आपसी खीचतान दिखाई पड़ने लगी है। हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी में आरक्षण फार्मूले को लेकर असंतोष है।
पार्टी के कई सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों ने शीर्ष नेतृत्व से इस बारे में शिकायत भी की है कि उनके लोग पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी में थे मगर आरक्षण के फार्मूले की वजह से वे पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बहरहाल उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव को लेकर मारकाट की स्थिति बनी हुई है।चुनाव से पूर्व कई हत्याएं और आपसी मनमुटाव के साथ गाॅव की चैपाल, खेत खलिहान और चायपान की दुकान के साथ चैराहे , गली मुहल्लो और गांव की बाजारों में चुनावी चर्चा का दौर शुरू है।