- अर्चना सिंह, नई दिल्ली
विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन छतरपुर स्थित मंदिर परिसर में सम्पन्न हुआ। इस यज्देञ में देशभर के 108 मठाधीशों ने वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन करके महायज्ञ का समापन किया। वेदों के अनुसार लगभग 600 कलाकारों के द्वारा सनातन धर्म के अनुसार पंडालों का निर्माण किया एवं विश्व शांति के लिए, परिवार की समृद्धि के लिए पंडितो के द्वारा महायज्ञ किया गया।
विश्व शांति महायज्ञ में भारतीय संस्कृति विस्तृत की रूप से जानकारी मिली और सनातन धर्म के बारे में बारीकी से जानकारी दी गई। इस दौरान मौजूद धर्मगुरुओं ने बताया कि, “हमें अपने बच्चों में सनातन धर्म के प्रति, भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। बच्चों में व्यवहारिक रूप से सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का समावेश हो उसके लिए ऐसे महायज्ञ का होना बहुत ही आवश्यक है। भारतीय संस्कृति एक ऐसी संस्कृति है जिसके अंतर्गत विश्व की शांति के लिए हम सब यज्ञ करते हैं।”
इस यज्ञ में स्वस्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष शैलेश प्रकाश तिवारी ने अपने उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि, यज्ञ मानव जीवन को सफल बनाने के लिए एक आधारशिला है। इसके कुछ भाग विशुद्ध आध्यात्मिक हैं। अग्नि पवित्र है और जहां यज्ञ होता है, वहां संपूर्ण वातावरण, पवित्र और देवमय बन जाता है। यज्ञवेदी में ‘स्वाहा’ कहकर देवताओं को भोजन परोसने से मनुष्य को दुख-दारिद्रय और कष्टों से छुटकारा मिलता है।