आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तीन दिन पूर्व शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी द्वारा आखिरकार गिरफ्तार कर ही लिये गये। हालांकि वे इसकी आशंका पहले ही जता चुके थे और यही वजह थी कि नौ बार समन भेजे जाने केप्र बावजूद वे प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय जाने से बचते रहे और साथ ही यह कहते रहे कि प्रश्न लिखकर उनके पास भिजवा दिये जायें, वे उनके उत्तर दे देंगे। वे प्रवर्तन निदेशालय के समन को अवैध व राजनीति से प्रेरित बताते रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रवर्तन निदेशालय यदि अदालत का आदेश ले आये तो वे पूछताछ के लिए उपस्थित हो जायेंगे। उधर जिस दिन केजरीवाल को हाईकोर्ट ने दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने से मना कर दिया, उसी रात 11 बजे प्रवर्तन निदेशालय ने भी उन्हें अरेस्ट कर लिया। पद पर रहते हुए किसी भी सूबे के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का यह पहला मामला है।
अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार से रोकने के लिए ही उनकी गिरफ्तारी का षड्यंत्र रचा जा रहा है और उनकी पार्टी ने इसे असंवैधानिक कदम बताया है। इसके विपरीत प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, जिनके बारे में उनसे पूछताछ करनी है। आम आदमी पार्टी के दो नेता डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तथा राज्यसभा सदस्य संजय सिंह तथा बीआरएस की नेता के. कविता को पहले ही इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है।
इसलिए यदि यह कहा जाये कि अब यह सियासी मामला ज्यादा ही बन गया है तो गलत नहीं होगा। शायद यही वजह रही कि बीती 02 नवम्बर 2023 को पहली बार समन जारी होने के बाद से ही केजरीवाल ईडी के समक्ष हाजिर होने की बात हमेशा टालते रहे। यों भी अभी तक प्रवर्तन निदेशालय की अधिकांश कार्रवाइयां विपक्ष शासित राज्यों के नेताओं के खिलाफ ही हुई हैं। यही वजह है कि विपक्षी दलों ने जांच एजेंसियों पर केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते रहे हैं।
शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल दोषी हैं या नहीं यह पता तो अदालत में ही पता लगेगा और प्रवर्तन निदेशालय का यह भी कहना है कि उन्हें एक ऐसे मामले में पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है, जिसमें कई अदालतें दस्तावेजों की पड़ताल कर चुकी हैं। प्रवर्तन निदेशालय की इस दलील में दम है, लेकिन केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी का यह कहना तो प्रश्न उठाता ही है कि आखिर इतनी जल्दी क्यों है..? वास्तव में इस कार्रवाई की टाइमिंग से मामले ने पूरी तरह सियासी रंग ले लिया है।