Meerut News: मास्टर ट्रेनर्स के लिए मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम पर तीन दिवसीय कार्यशाला विद्या ग्लोबल स्कूल में आयोजित की जा रही है, जिसका आयोजन चक्र डायलॉग्स फाउंडेशन (सीडीएफ), सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मासेस (एसपीवाईएम) और विद्या ग्लोबल स्कूल द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। कार्यशाला नवचेतना मॉड्यूल पर केंद्रित है, जो छात्रों को जीवन कौशल और मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में शिक्षित करने पर जोर देती है।
भारत समेत एशिया भर में मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, जहाँ 15 से 64 वर्ष की आयु की 3.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत आबादी भांग और ओपियेट के सेवन से प्रभावित है। भारत सरकार द्वारा किए गए 2019 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 10 से 75 वर्ष की आयु के 14.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में यह दर इससे अधिक है। भांग (चरस या गांजा) का सेवन 1.2 प्रतिशत आबादी में प्रचलित है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह दर 3.2 प्रतिशत है। भारत में ओपियोइड का उपयोग 0.7 प्रतिशत है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह थोड़ा कम है, राष्ट्रीय और राज्य दोनों में शामक दवाओं का उपयोग 0.2 प्रतिशत है।
कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों को नवचेतना मॉड्यूल के प्रमुख पहलुओं से परिचित कराया जा रहा है, जिसमें “स्वस्थ जीवन जियें और स्वस्थ भोजन करें“, “जोखिमों को पहचानना, सुरक्षित रहना और बाल यौन शोषण को रोकना“, “साथियों के दबाव को प्रबंधित करना“, “भावनाओं को प्रबंधित करना“, “हिंसा को पहचानना और उससे निपटना“, तथा छात्रों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण नशीली दवाओं की शिक्षा संबंधी जानकारी शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, प्रशिक्षक और नवचेतना मॉड्यूल के सह-लेखक गैरी रीड ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, 60 मास्टर ट्रेनर मेरठ में 1,000 स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे, जो आने वाले तीन महीनों में 1 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षित करेंगे। उन्होने कहा कि जिलाधिकारी की यह सकारात्मक पहल युवाओं में मादक पदार्थो के सेवन को कम करने तथा जिले के लिए एक स्वस्थ, नशा मुक्त भविष्य के निर्माण हेतु चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।