Digital Arrest Kya Hai: इन दिनों डिजिटल अरेस्ट का मामला तूल पकड़ रहा है… अपराधियों के चंगुल में फंसकर लोग न केवल बर्बाद हो रहे हैं बल्कि उनके बैंक एकाउंट को भी पल भर में खाली कर दिया जाता है। डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठग आसानी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. तो आज की वीडियो इसी पर आधारित है… यहां हम जानेंगें कि आखिर डिजिटल अरेस्ट क्या है, इससे कैसे बचें और शिकायत कहां करें–
दरअसल डिजिटल अरेस्ट लोगों को ठगने का एकदम नया और नायाब तरीका है, इसमें अपराधी सरकारी एजेंसी, जांच ब्यूरो या फिर पुलिस अधिकारी बनकर आपको कॉल करते हैं और आपकी मनोदशा देखकर आपको कब्जे में ले लेते हैं। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से होती और लोगों को इसमें डराया जाता है… जैसे कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है और उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा.
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है. लेकिन, अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से यह चर्चाओं में है. पिछले कुछ महीने में देशभर में हजारों मामले ऐसे आए हैं, जिनमें 400 करोड़ रुपयों से अधिक की धोखाधड़ी हुई है. इसके अलावा कई सारे ऐसे मामले होते है जो रिपोर्ट नहीं किए जाते. कई ऐसे मामले भी आते हैं जिसमें ठगी करने की कोशिश करने वाले सफल नहीं हो पाते।
डिजिटल अरेस्ट के ऐसे संगठित गिरोहों का अभी तक कोई खुलासा न होन पाने के कारण डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
डिजिटल अरेस्ट के मामले में लोगों को कैसे फंसाया जाता है?
डिजिटल अरेस्ट में ठगी करने के कई तरीके होते हैं. जैसे, किसी कूरियर का नाम लेकर कि इसमें गलत सामान आया है. कुरियर में ड्रग्स है, जिसकी वजह से आप फंस जाएंगे. आपके बैंक खाते से इस तरह के ट्रांजैक्शन हुए हैं जो फाइनेंशियल फ्रॉड रिलेटेड हैं. मनी लॉन्ड्रिंग, एनडीपीएस का भय दिखाकर अधिकतर उन लोगों को फंसाया जाता है, जो पढ़े-लिखे और कानून के जानकार होते हैं. ऐसे लोगों को डराकर उनसे डिजिटल माध्यम से फिरौती मांगी जाती है. अगर उनके खातों में पैसे नहीं हैं तो उनको लोन दिलवाया जाता है. कई बार उनके पास लोन लेने वाले एप्स नहीं होते हैं तो उन एप्स को भी डाउनलोड कराया जाता है. कई बार दो से तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा जाता है.
डिजिटल अरेस्ट के मामले से कैसे बचा जा सकता है?
इसमें कई तरह के अपराध होते हैं. गलत तरीके से सिम कार्ड लिया जाता है, गलत तरीके से बैंक खाता खोला जाता है. जिन लोगों को ठगी का शिकार बनाया जाता है उनके पैन कार्ड, आधार कार्ड समेत कई अन्य डेटा को गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा किया जाता है. उनके खाते से पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं. कई बार क्रिप्टो या गेमिंग एप के माध्यम से हवाला के जरिए पैसे को बाहर भेजा जाता है.
लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन तरीके से पूछताछ नहीं करती है. सरकारी एजेंसी सिर्फ फिजिकल तरीके से पूछताछ करती है. अगर किसी के साथ इस तरीके की घटना होती है तो वह दो तरीके से इसे रिपोर्ट कर सकता है.
डिजिटल अरेस्ट की ठगी होने पर, आपको तुरंत नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके शिकायत करनी चाहिए। इसके अलावा, आप ये कदम भी उठा सकते हैं:
- अपने नज़दीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज कराएं.
- अपने बैंक से संपर्क करके फ़ंड को ब्लॉक करने के लिए कहें.
- साइबर क्राइम की वेबसाइट पर जाकर रिपोर्ट करें.
- अपने पास मौजूद सभी सुबूतों को इकट्ठा करके रखें.
डिजिटल अरेस्ट की ठगी से बचने के लिए, आपको ये बातें अवश्य जाननी चाहिए:
- कोई भी सरकारी अधिकारी आपको कॉल करके पैसे नहीं मांगेगा.
- अगर आपको कोई वीडियो कॉल पर फ़ंसाने की कोशिश करता है, तो फ़ोन कट कर दें.
- साइबर अपराधियों से सावधान रहें.
- ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें.
- डिजिटल अरेस्ट की ठगी में जितनी जल्दी शिकायत की जाएगी, उतना ही पैसे वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
क्या डिजिटल अरेस्ट में कोई सजा का प्रावधान है?
इस मामले में बहुत तरह की सजा हो सकती है. गलत डॉक्यूमेंट बनाने, लोगों से ठगी करने, सरकारी एजेंसी को गुमराह करने की सजा हो सकती है. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है उसकी सजा, आईटी एक्ट के तहत सजा, ट्राई के कानून के तहत गलत सिम कार्ड लेने की सजा का प्रावधान है. हालांकि, इसमें दिक्कत यह है कि जो लोग पकड़े जाते हैं, वह निचले स्तर के प्यादे होते हैं और जो मुखिया होते हैं, वह विदेश में बैठे होते हैं. सरकारी एजेंसी उन्हें पकड़ नहीं पाती है.
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